8 घंटे की नौकरी और पगार महज 42 रुपये

ब्रह्मानंद ठाकुर मुंशी प्रेमचंद की कहानी सद्गति का किरदार घासीराम हो या फिर रामवृक्ष बेनीपुरी के ‘कहीं धूप कहीं छाया’

और पढ़ें >

तुम्हारी जात क्या है, तुम क्या समझोगे?

प्रशांत दुबे किसी के इंतजार में खटलापुरा मंदिर में बैठा था| एक पढ़े-लिखे, सूट-वूट वाले भाईसाहब चार चके से उतरे,

और पढ़ें >

नोटबंदी की ‘सियासी मंडी’ में अन्नदाता की सुध किसे ?

ब्रह्मानंद ठाकुर  किसानों के खून-पसीने से उपजाई गयी फसल जब कौडियों के मोल बिकने लगे तो उनका दर्द समझना सब

और पढ़ें >