रवि पाल शहर की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर किसी को कुछ ना कुछ
Category: गांव के नायक
विनोद दुआजी, तुस्सी ग्रेट हो!
नदीम एस अख़्तर कहते हैं जो पेड़ से फल से जितना लदा होता है, वो उतना ही झुका होता है.
इंटरनेट की दुनिया- ‘कुंदन’ घिसता गया, चमक बढ़ती गई
कुंदन शशिराज एक ऐसे युवा के तौर पर अपने साथियों के बीच जाने जाते हैं, जो अपने जुनून के लिए
संडे हो या मंडे, अंडे से समझिए ज़िंदगी के फंडे
प्रशांत दुबे वैसे तो संदेशा देने के लिए आजकल सरकारी महकमों में एक अलग ही शाखा होती है, जिसका नाम
गांव की फिल्म मेकर ने जीता अवॉर्ड
रुपेश गुप्ता करीब डेढ़ साल पहले की बात है। छत्तीसगढ़ की मैनपाट और मांझी जनजाति अचानक सुर्खियों में आ गई।
खुद खाली पेट और वो चलाते हैं ‘एक रोटी अभियान’
पुष्यमित्र दुनिया अच्छे लोगों से खाली नहीं हुई है। दिलचस्प बात यह है कि आप महानगर छोड़ कर बाहर निकलें
SP कुमार आशीष ने ‘दीपक’ सी जिद ठानी है!
दीपों के पर्व की रौनक हर तरफ बिखरी है। समाज का हर तबका अपने-अपने अंदाज में दीवाली मना रहा है।
एक गुरु ने जगमग कर दी पाठशाला
सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा उत्तर प्रदेश का एक सरकारी स्कूल इन दिनों अच्छी वजहों से चर्चा में है। प्रदेश के दूरदराज़
अपना ‘रोशन’ क्या किसी ‘बाज बहादुर’ से कम है ?
सच्चिदानंद जोशी कुछ दिन पहले मांडू जाना हुआ। यात्रा के अंतिम पड़ाव में हम प्रसिद्द दिल्ली दरवाजे पर रुके, क्योंकि
कितने शहरों में कितने माही गुम हो गए !
राकेश कायस्थ हर फिल्मी कहानी में थोड़ा-बहुत हिस्सा हमारी अपनी जिंदगिंयों का भी होता है। महेंद्र सिंह धोनी की अनकही कहानी