जब देश के पहले राष्ट्रपति को झेलना पड़ा दहेज प्रथा का दंश

ब्रह्मानंद ठाकुर बात आज से   102  साल पहले की है। राजेन्द्र बाबू  1916 में कलकत्ता ( अब कोलकाता ) से वकालत

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पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ, गांधी भया न कोय

ब्रह्मानंद ठाकुर गांव-घर में  आज-कल खेती-पथारी, माल-मवेशी, शादी-विवाह की चर्चा न के बराबर होती है। कारण है अभी न खेती-किसानी

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जलकर बढ़ने की सीख देने वाले राष्ट्रीय चेतना के प्रखर कवि दिनकर 

संजय पंकज राष्ट्रीय चेतना के प्रखर और ओजस्वी कवि रामधारी सिंह दिनकर सामाजिक दायित्व और वैश्विक बोध के भी बड़े

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एसी वाले ‘बाबाओं’ की क्रांति और घोंचू भाई का मंत्र

ब्रह्मानंद ठाकुर विप्लव जी इन दिनों गांव आए हुए है। इनका मूल नाम समरेन्द्र कुमार है लेकिन महानगर में जाकर

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स्वामी विवेकानंद और हिंदू गौरव वाणी के 125 बरस

संजय पंकज संसार की प्रथम विश्व धर्म महासभा शिकागो,अमेरिका में 11 सितम्बर 1893 में विराट भारत खड़ा हुआ था। इसके

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वैकल्पिक मीडिया पर एक्शन का इससे बेहतर वक़्त नहीं

राकेश कायस्थ के फेसबुक वॉल से साभार लंबे समय बाद गलती से न्यूज़ चैनल ऑन कर बैठा। सबसे हाहाकारी क्राइम

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