‘बदलाव’ ने ढाई आखर फाउंडेशन और दस्तक के साथ मिलकर होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन रखा है। पिछले दो साल
Category: याद आवता गांव
कहां खो गया बापू का प्यारा गांव बेनीपुर ?
ब्रह्मानंद ठाकुर मैं बात कर रहा हूँ कलाम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी के गाँव बेनीपुर की । बागमती नदी से
तलवाना ढूंढता है अपना रामलाल
जितेंद्र शर्मा हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर एक गांव है-तलवाना। शहर से कटा। जहां तक मेरी स्मृतियां जाती हैं, वहां न तो
बापू, मेरा गांव बड़ा प्यारा है!
CAMPAIGN-मेरा गांव-मेरी जान\I LOVE MY VILLAGE concept- अपना नाम, अपने गांव का नाम और अपने गांव से प्यार या लगाव
किसानों का संकटमोचक ‘रहट’ कहां गुम हो गया?
अरुण यादव रहट नाम से क्या आपके जेहन में कोई तस्वीर खिंचती है। क्या आप रहट के बारे में जानते
यात्रीगण, पहलेजा घाट पर अब न ढूंढें पुरानी गंगा
अभया श्रीवास्तव मैं गोरखपुर से पटना जा रही थी। नई ट्रेन नया रूट। अब पटना पहुंचने के लिए ना हाजीपुर
देवरिया में लगी ‘बदलाव की चौपाल’
अनिल कुमार उत्तर प्रदेश के जौनपुर से ‘बदलाव की चौपाल’ का जो सफर शुरू हुआ वो दिल्ली होते हुए नेपाल
गांव शहर बना तो हम हिन्दू-मुस्लिम हो गए !
ज़ैग़म मुर्तज़ा क़रीब दो दशक पहले गांव जाना हमारे लिए अंतर्राष्ट्रीय पिकनिक से कम न था। हफ्ता भर पहले तैयारियां
मुनव्वर – मेरी नज़र से देखो मेरी माँ
उर्दू के जाने माने शायर मुनव्वर राणा ने साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिया है। अभी वो इसी वजह से
पगला नथुनिया… तेरा बऊआ आया गांव रे!
तब ये ट्रेन कहां थी गांव जाने के लिए। रामेश्वर घाट पर मिनी बसें छोड़ जातीं और फिर वहां