रुपेश कुमार जब देखता हूं ढीली होती पेशियां पिता की बहुत कांपता है हृदय ! सुबह जब कभी लेटते हैं
Category: माटी की खुशबू
स्त्री का सम्मान प्रकृति और ईश्वर का सम्मान है
डाॅ॰ संजय पंकज प्रकृति और पुरुष का आकर्षण सृष्टि के प्रारंभ का एक विराट निदर्शन है। उस गोपन रहस्य में
बेटियों की चीख और तड़प
वो चीख रही थी और मैं सोच रहा था ये चीख किस मजहब की है वो दर्द से तड़प रही
श्रम से निखरता सौंदर्य
डॉ. भावना बलुई के ढलान से बोझा लिए जब भी गुज़रती है वह काली लड़की तो लोग उसे चिढ़ाते हैं
वर्ल्ड थियेटर डे- हम सब के दिल में बसा है ‘नटकिया’
पशुपति शर्मा वर्ल्ड थियेटर डे। रंगमंच के उत्सव का एक दिन। वो उत्सवधर्मिता जो रंगकर्म में स्वत: अंतर्निहित है। यकीन
“मां को कैसे संभालूंगा बाबूजी…”
वरिष्ट पत्रकार अजित अंजुम के पिता राम सागर प्रसाद सिंह का निधन 20 मार्च की सुबह हो गया। पैतृक शहर
अन्नदाता की उन्नति के लिए ‘फसल सलाह’
अरुण यादव पिछले हफ्ते राजधानी दिल्ली के पूषा कृषि अनुसंसाधन संस्थान में कृषि उन्नति मेला आयोजित हुआ । 16 से
बुजुर्गों का अकेलापन और हमारी जिम्मेदारी
पशुपति शर्मा घर के दरवाजे पर हाथ में अखबार लिए बड़ी तल्लीनता से खबरों से बावस्ता मेरे फूफाजी। तस्वीर बुआ
असली किसान कौन ?
जब जब किसान अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरता है तब किसान विरोधी सोच वाले तमाम फेसबुकिया ब्रिगेड झूठ
बनपुरी के डिजिटल स्कूल बनने की कहानी गजब-दिलचस्प है!
शिरीष खरे बारह साल पहले जब यहां यह स्कूल नहीं था तब एक आदमी ने अपनी जमीन दान कर दी।