कई बार यह विचार आता है कि हम अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी में जनहित और समाजहित के लिए कितना वक्त
Category: माटी की खुशबू
लमही में एक लम्हा ‘प्रेम’ का
अरुण यादव इधर कुछ दिनों से दफ्तर के कामकाज ने इस कदर उलझा रखा था कि समाज और साहित्य दोनों
बुंदेलखंड में होती है राक्षस की पूजा
कीर्ति दीक्षित परम्पराएं, custom, rituals जैसे शब्द धरती के किसी भी कोने से खड़े होकर बोलें तो इनकी समृधि में
भरत मिलाप, मेला और हमारा बचपन
मृदुला शुक्ला बचपन में दशहरे पर नए कपड़े मिलने का दुर्लभ अवसर आता था । हम सारे भाई बहन नए
पीअर कब ‘पराया’ हो गया पता ही नहीं चला!
ब्रह्मानंद ठाकुर मेरे गावं का नाम पिअर है । मेरा गावं पहले मुजफ्फरपुर जिला के मुरौल प्रखण्ड के अन्तर्गत था
30 सितंबर को मुजफ़्फ़रपुर में पमरिया गाएंगे बधईया
एम अखलाक मड़वन प्रखंड के गमसरा पंचायत भवन में धूम मचल बा। गांव जवार के पमरिया नाच कार्यशाला में मुखिया
सहरसा के आरण गांव में नाचे मन ‘मोर’
पुष्य मित्र आपके घर के बाहर अगर मोर नज़र आ जाए तो बरबस ही मन नाच उठेगा और बचपन की
मरखइया गाय अब हूरपेटती नहीं, जाने कहां चली गई
दृगराज मधेशिया मोदी जी ने जब गौ रक्षकों के वेश में छिपे लोगों के चेहरों से नकाब हटाई तो बहुतों
मुस्लिम बस्ती में यूं खुले दिल, घर और मस्जिद के दरवाजे
देविंदर कौर उप्पल भोपाल से लगभग 40 मील दूर का कस्बा रायसेन दो साल पहले धार्मिक मतभेद से उपजी हिंसा
कीर्ति दीक्षित के उपन्यास ‘जनेऊ’ की पहली झलक
सत्येंद्र कुमार यादव मार्च 2009 में ईटीवी न्यूज से जुड़ा। फिर मुझे रायपुर से हैदराबाद जाना हुआ। चूंकि मैं नया-नया