महादेवी वर्मा मधुर-मधुर मेरे दीपक जल। युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल, प्रियतम का पथ आलोकित कर।। सौरभ फैला विपुल धूप बन,
Category: परब-त्योहार
विदेशी ‘पतिदेव’ को देसी परंपरा का पाठ
सच्चिदानंद जोशी करवा चौथ और अमेरिकी चुनाव। आप भी सोचते होंगे की करवा चौथ का अमेरिका में होने वाले चुनाव से
बुंदेलखंड में होती है राक्षस की पूजा
कीर्ति दीक्षित परम्पराएं, custom, rituals जैसे शब्द धरती के किसी भी कोने से खड़े होकर बोलें तो इनकी समृधि में
‘झिझिया’ से इतनी झिझक क्यों भाई !
पुष्य मित्र अगर हमें अपनी संस्कृति और लोक परंपराओं को जीवित रखना है तो उसे सिर्फ दिल में सहेजने भर
भरत मिलाप, मेला और हमारा बचपन
मृदुला शुक्ला बचपन में दशहरे पर नए कपड़े मिलने का दुर्लभ अवसर आता था । हम सारे भाई बहन नए
अब नवरात्र में जादू-टोना वाला डर नहीं
ब्रह्मानंद ठाकुर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का हमारा गाँव पिअर विगत 60 सालों में काफी कुछ बदल गया है ।
पोला पर्व पर बैल-दौड़ की परंपरा
शिरीष खरे हम छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रावणभाठा मैदान में हैं। यहां सुबह-सुबह किसान अपने बैलों को सजा-धजाकर लाए
जन्माष्टमी मनाइए…लेकिन कृष्ण के उपदेशों को भूलिए नहीं
धीरज वशिष्ठ पूरे मानवता के इतिहास में कृष्ण अकेले ऐसे व्यक्तित्व हैं जो सभी आयामों में खिले हुएं हैं। कहीं
आस्था और अंधविश्वास के बीच दर्शन का आनंद
बरुण के सखाजी हम सपरिवार सुबह-सुबह मैहर रेलवे स्टेशन पर थे। हल्की बारिश और शारदा मंदिर की पहाड़ी कोहरे के
माधव का महाकाव्य- श्याम चरित मानस
महेश कुमार मिश्रा संत गोस्वामी तुलसीदास जिन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम पर राम चरित मानस महाकाव्य की रचना की । ऐसा माना