अनिल पांडेय कभी बाल मजदूर रहे सुनील और शिवम के जज्बे को सलाम। दोनों मेरे बहुत प्रिय हैं। दोनों से
Category: चौपाल
गांधी को महात्मा बनाने की ‘चम्पारण कथा’ की पहली झलक
पुष्यमित्र चंपारण सत्याग्रह पर आधारित इस किताब को लिखना जब शुरू किया था तो चम्पारण सत्याग्रह की बहुत कम जानकारियां
दिल्ली के SDM प्रशांत, जो सेवा में ढूंढते हैं सुकून
अरुण प्रकाश आए दिन देश में धरना-प्रदर्शन हो हंगामा होता रहता है, लेकिन क्या हमने कभी समान शिक्षा और बेहतर
दिल्ली गोल्फ क्लब का औपनिवेशिक दंभ और घृणित ‘अपराध’
नीतेश राणा “क्या हमारा समाज आज़ादी के 70 सालों बाद भी औपनिवेशिक दंभ और दासता से मुक्त हो पाया है?
देश की तहज़ीब ‘अकबरुद्दीनों’ और ‘तोगड़ियों’ के ख़िलाफ़- राणा यशवंत
राणा यशवंत साभार फेसबुक। 3 जुलाई 2017। मेरे मित्र अभिसार शर्मा ने आज अकबरुद्दीन ओवैसी के बयान पर एक पोस्ट
प्रभात ख़बर के इतिहास से अविनाश ग़ायब क्यों हैं?
निराला बिदेसिया अभी कुछ दिनों पहले ही मन बनाया कि अचानक-अचानक एकदम से एफबी वगैरह से कुछ-कुछ दिनों के लिए
योग अन्तर जगत की ओर एक यात्रा है
बी.के सुशांत आपाधापी भरे इस युग में जन-सामान्य बहुत कुछ हासिल करने की चाह में मानसिक अशांति और शारीरिक व्याधियों
रामनाथ कोविंद को ‘दलित चश्मा’ हटाकर भी देखें
एस के यादव क्या टीवी पर दिखने वाले, अखबारों की सुर्खियों में बने रहने वाले, हिंदू, मुस्लिम, दलित, अगड़ा-पिछड़ा करके
विनय की याद, बच्चों की किस्सागोई और हमारा संकल्प
ये वक्त अपने साथी विनय तरुण को याद करने का है। साथी को याद करते हुए हमने हमेशा उसके कर्मों
जंक फूड के जाल में फंसा बचपन और ‘दुश्मन मां’!
विकास मिश्रा 8-9 साल की उम्र रही होगी, जब मैंने पहली बार पाव-रोटी खाई थी। चाय में डुबोकर जब मुंह