अरुण यादव बदलाव की बयार कब और कहां से निकलेगी ये कोई नहीं जानता । क्या आप सोच सकते हैं
Category: गांव के रंग
शिव का एक ऐसा धाम जहां हर साल बढ़ता है शिवलिंग
अरुण प्रकाश अगर आप पर्यटन के शौकिन हैं और पौराणिक महत्व की नई-नई जगहों पर जाना पसंद करते हैं आपके
अमदाबाद के 100 गांवों में दो दशकों का ‘अंधकार युग’
पुष्यमित्र यह कहानी कटिहार के अमदाबाद प्रखंड की है। 98 की बाढ़ में जो यहां की बिजली गुल हुई थी
‘लिक्विड ऑक्सीजन’ में ‘डार्लिंग विलेज’
शंभु झा मैं अभी हाल में अपने गांव से लौटा हूं। गांव की फितरत साठ के दशक की फिल्मी नायिकाओं
50 साल से खेतों में ही है उसका बसेरा
बरुण के सखाजी छत्तीसगढ़ के चिल्पीघाटी की पश्चिमी तलहटी में धबईपानी के पास 80 वर्षीय महिला जेठिया बाई अपने पूर्वजों
चुनावी शोर में किसानों की फिक्र कर लेना नेताजी
नीलू अग्रवाल बिहार में चुनाव का शोर शुरू हो गया है। इसके साथ ही सियासी दलों के रणनीतिकार जाति के
आजतक ने जोड़ा ख़बरों से गांव का ‘कनेक्शन’
सत्येंद्र कुमार गांव की अधिकांश सड़कें कच्ची से पक्की हो गई। कई गांव से होकर चौड़ी सड़कें दौड़ने लगीं। टमटम
गाँवन के गुनहगार अपने, आ कोसेला गाँव के
डॅा० जयकान्त सिंह ‘जय’ हमार गतर-गतर गँवई गरिमा के गवाही देला। रोंआँ-रोंआँ ओकरे रिनी (ऋणी) बा। हमार मन-मिजाज आ दिल-दिमाग
फिरंगी लुट गयो रे हाथुस के बाज़ार में
धीरेंद्र पुंढीर लोकगीतों का सिलसिला अनंत है। देश के हर हिस्से में अंग्रेजों को मार भगाने की ललक उनके लोकगीतों
नटुआ… ‘सरकारी नाच’ पर मत करिहो सवाल
संस्कृति समाज का निर्माण करती है और कलाएं संस्कृति व समाज का संरक्षण। इसे ताक पर रख कर कोई भी