पुष्यमित्र चार-पांच साल पहले झारखंड के एक गांव गया था । वह गांव सब्जी उत्पादन में अव्वल था । वहां
Category: गांव के रंग
बिहार का स्लीपर सेल और छठ पर्व पर गरथैया
अनुशक्ति सिंह के फेसबुक वॉल से साभार कभी किसी को कहते सुना था, जहाँ न जाये रवि वहाँ जाये बिहारी.
फाउंटेन पेन का लालच और चवन्नी की चोरी
ब्रह्मानंद ठाकुर घोंचू भाई आज खूब प्रसन्न मुद्रा में थे। मनकचोटन भाई के दलान में तिनटंगा चउकी पर ज्योंही
महिलाओं की सेहत, सैनेटरी नैपकिन और जागरूकता के ‘ढाई आखर’
टीम बदलाव बिहार के औरंगाबाद में गरीब और जरूरत मंदों के लिए शिक्षा की अलख जगा रहे ढाई आखर फाउंडेशन
ओम बाबू ! आपकी हर अदा के हम कायल हैं
पशुपति शर्मा नशे में है कौन नहीं और किसमें है नशा नहीं है नशा उन्हीं में जो कहते मुझमें नशा
बादशाह खान के प्रति
– अरुण कमल बुढ़ापे का मतलब है सुबह शाम खुली हवा में टहलना बूलना बुढ़ापे का मतलब ताजा सिंकी रोटियाँ
हाईब्रिड की माया और किसानों की मुश्किल
ब्रह्मानंद ठाकुर उतरइत उत्तरा नक्षत्र में मेघ बरस जाने से घोंचू भाई के मुरझाएल चेहरा पर जब तनिका हरियरी छाया
आलोक श्रीवास्तव की दो कविताएं
एक दिन आएगा एक दिन आएगा जब तुम जिस भी रास्ते से गुजरोगी वहीं सबसे पहले खिलेंगे फूल तुम जिन
शिक्षक नहीं, मल्टीपर्पस ड्राइवर
डॉ. सुधांशु कुमार जी हां ! हम शिक्षक नहीं, ड्राइवर हैं । मल्टीपर्पस, मल्टीटैलेंट । इसीलिए खिचड़ी से लेकर बत्तख
देश के गांधी अड्डों की सूरत बदलनी चाहिए
संदीप नाईक एक ही है सेवाग्राम देश में, एक है कस्तूरबाग्राम इंदौर में और फिर देशभर में फैले हैं –