दिवाकर मुक्तिबोध छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव भाजपा में अप्रत्याशित रूप से चेहरे बदल दिए हैं। यह तो उम्मीद की जा रही
Category: गांव के रंग
राजतंत्र की विलासता और लोकतंत्र के रखवालों का राजशाही ठाट-बाट
ब्रह्मानंद ठाकुर राजतंत्र में राजा-महाराजाओं के शान शौकत वाली जिंदगी और उनके विचित्र शौक की अनेक कहानियां इतिहास के
एक जिंदादिल इंसान के सपनों का ‘अक्षय’ सफर
अक्षय विनोद के फेसबुक वॉल से साभार हर किसी का एक सपना होता है, हर कोई अपने मनमुताबिक जीने की
नदी का किनारा और सुबह का सौंदर्य
पुरु शर्मा सुबह घूमना मुझे हमेशा से ही सुहाता रहा है। प्रकाश के आभाव में जब अंधकार का साम्राज्य बढ़ता
भुजइन के भार के बहाने किस्सा गांव का
रज़िया अंसारी गांव के लहलहाते हरे भरे खेत, खेतों में सरसों के पीले-पीले फूल, कुएं पर पानी भरती गांव की
सांची कहे तोरे आवन से हमरे, अंगना में आई बहार भौजी
विकास मिश्रा 1982 में आई थी फिल्म ‘नदिया के पार’। तब मेरी उम्र 12 साल की रही होगी। गाना सुपरहिट
दम तोड़ता बेनीपुरी के सपनों का भारत
ब्रह्मानंद ठाकुर/ कलम के जादुगर रामवृक्ष बेनीपुरी । यह नाम जेहन में आते ही एक ऐसे व्यक्ति का चित्र उभरता
…तो आप अपने बच्चों के केंद्र में कभी नहीं रह पाएंगे।
दयाशंकर मिश्रा के फेसबुक वॉल से साभार/ मेरे पास परिवार के लिए समय नहीं बचता। सुबह, बच्चे जब स्कूल जाते
गांव की माटी की महक
श्वेता जया के फेसबुक वॉल से साभार क्या आपने गाँव को करीब से देखा है? खपरैल के घर, फूस की
सामाजिक संतुलन के लिए कितना कारगर रहा भूमि सुधार कानून
शिरीष खरे आजादी के सात दशक बाद तक भूमि की संरचना पहले की तरह ही असमान है। आज भी साठ