अभया श्रीवास्तव मैं गोरखपुर से पटना जा रही थी। नई ट्रेन नया रूट। अब पटना पहुंचने के लिए ना हाजीपुर
Category: माटी की खुशबू
रोटियां उनकी थाली में कम, भूखे क्यों तुम ?
जब, तुम खोद रहे होते हो खाई अपने और उनके बीच सिर पर टोकरा लिए वो बना रहे होते हैं
मैनपुरी का ‘मास्टर्स इन फ्लावर’
अरुण यादव बदलाव की बयार कब और कहां से निकलेगी ये कोई नहीं जानता । क्या आप सोच सकते हैं
30 साल बाद… अपने कॉलेज में ‘ताका-झांकी’
अजीत अंजुम की फेसबुक वॉल से अतीत बहुत पीछे छूट जाता है । असंख्य चेहरे होते हैं, गड्डमड्ड से ।
नौबतपुर का अनोखा रामभक्त
पुष्य मित्र देश में कभी राम को लेकर वाकयुद्ध चलता है तो कभी भारत माता के नाम पर महाभारत, लेकिन
चाची के हाथ की मछली खाने की ललक
मनोरमा सिंह ये मिश्रा चाची हैं। बरौनी आरटीएस, में मेरे पड़ोस की चाची। मैथिल और अंगिका बोलने वाली चाची, अपनी
तिरंगे के रंग हज़ार
तिरंगे के रंग आँखें तभी साफ़ साफ़ देख पाती हैं जब पेट में रोटी होती है, हाथ तिरंगे को
पंडितजीका गायन ही देश-राग है
देवांशु झा सन चौरासी की बात है। रेडियो पर दोपहर डेढ़ बजे शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम आता था। स्कूल के
फागुन के महिना में खेत के खेत खाली डरे… छाती फटत
कीर्ति दीक्षित ‘का बताएं बेटा मर रहे… सब सरकार तो सरकार इसुर तक दुश्मन बनो बैठो किसान को तो ,
छोटा कर के देखिए जीवन का विस्तार- निदा फ़ाजली
अनिमेष पाठक बात दिसंबर 2015 के पहले हफ्ते की है। ऑफिस से काम जल्दी निबटाकर लगभग दौड़ता हुआ मैं मुनव्वर राणा