आशीष सागर दीक्षित बीते दिनों कान्हा नेशनल टाइगर में प्रवास के दौरान ग्राम खटिया में यह श्यामलाल साधुराम बिसेन मिले।
Category: परब-त्योहार
भोर अलग है, शोर अलग है…
नीलू अग्रवाल आज स्वतंत्रता दिवस की भोर अलग है हो रहा जो गलियों में शोर अलग है ग़रीबी, घोटाले, भ्रष्टाचार
नवाबों के शहर में ‘बड़े मंगल’ का बड़ा पैग़ाम
जयंत कुमार सिन्हा तमीज, तहजीब के शहर को खूब भाते हैं वीर हनुमान। लखनऊ के मिजाज के बारे में आप
नाचे तन-मन, नाचे जीवन
हिलता-खिलता-मिलता-जुलता आया होली का त्यौहार। नाचे तन-मन, नाचे जीवन नाचे आंगन, नाचे उपवन रंग-बिरंगी ओढ़ चदरिया धरती लाई नई बहार।
नाचे, गाएं, खेलें होली… जोगीरा सा रा रा
बासु मित्र पिछले एक दशक से मेरे गांव में भी होली की चमक फीकी सी हो गयी थी। रोजी-रोटी के
लो आ गया फागुन निगोड़ा
तुम न आये और फिर लो आ गया फागुन निगोड़ा साल पिछले भेजते इसको कहा था, हाथ में इसके तुम्हारा,
सूरज ने चाल बदली, रौशन कर लो अपना पथ
डॉ. दीपक आचार्य दक्षिण गुजरात में एक जिला है डांग, यहां शत-प्रतिशत वनवासी आबादी बसी हुई है और यहां आमजनों
मेरे गांव, तेरा जन्मदिन हम भी मनाएंगे
अरुण प्रकाश 7 नवंबर 2015 की वो तारीख देश हमेशा याद रखेगा । ये वही तारीख है जब देश के
हम चलते गए, कारवां बनता गया…
साल 2015 बीत गया और साल 2016 के सूरज ने दस्तक दे दी। पुराने साल में पाठकों से बने
डंडा सें डंडा लड़े, ऊंट लड़े मुंह जोर
कीर्ति दीक्षित किसी को नीचा दिखाना हो या फिर किसी को बुरा भला कहना हो तो पढ़ा लिखा समाज उसे