‘पेड़ों की छांव तले रचना पाठ के अंतर्गत 29वीं साहित्यिक गोष्ठी वैशाली गाजियाबाद स्थित हरे भरे मनोरम सेंट्रल पार्क में
Category: मेरा गांव, मेरा देश
तारिक फतेह को लेकर ‘चिंताओं’ का दौर
धीरेंद्र पुंडीर ये मुजफ्फनगर की तारिक फतेह पर चिंता है। घर आया था लिहाजा सुबह के अखबार में दिखा। ये
कंट्रोल रूम से कभी बतिया भी लीजिए अखिलेशजी
ऋषि कांत सिंह सुबह का वक़्त था। आज नोएडा एक्सप्रेसवे से होकर ऑफिस जा रहा था। अचानक दो गाड़ियों की
समाजवादी आस्था के मुखिया शिव का विवाह
ब्रह्मानंद ठाकुर आज महाशिवरात्रि है। आदिम समाजवादी परिवार के मुखिया शिव के विवाह का दिन । हां, आदिम समाजवादी व्यवस्था,
सोशल इंजीनियरिंग की सियासी ‘माया’
पीयूष बबेले पिछले अंक में आपने पढ़ा कि किस तरह कांशीराम के संघर्षों से बीएसपी दलित वर्ग में अपनी पैठ
सियासी फलक पर उम्मीदों और सवालों से घिरी ‘मोदी की बीजेपी’
रामजी तिवारी भारतीय जनता पार्टी के बारे में लिखना अपेक्षाकृत कठिन होता है। कारण यह कि इस पार्टी के बारे
सोती कौम के नायक कांशीराम
पीयूष बबेले 90 के दशक का वह दौर जब एक बच्चे ने दलितों की जिजीविषा को राजनैतिक आंदोलन का रूप
गंगा के दियारे में अफीम की खेती का सच क्या है?
मोहन मंगलम कुछ साल पहले राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम ने गंगा दियारे का दौरा कर दियारे की
फकीरा खड़ा बाज़ार में…मांग रहा है वोट
राकेश कायस्थ मांगना अच्छा है या बुरा? यह निर्भर इस बात पर है कि मांगा क्या जा रहा है। उदाहरण
काश ! एक माइक जनता की तरफ भी होता…
आशीष सागर दीक्षित (फेसबुक वॉल से) ” तुम बतलाते रहे अपने काम के नजराने इस कदर अखिलेश, कि एक हम