देवांशु झा बेटे ने बूढ़ी मां से कहा मां चलो, सूर्य नमस्कार करते हैं लगभग अपंग मां सहज तैयार हुई
Category: मेरा गांव, मेरा देश
बहू अंजलि ग्रेजुएट हो गई!
मिथिलेश कुमार राय सवेरे जब मैं काम पर निकल रहा था, माँ बोली कि मिठाई लेते आना। कल शुक्रवार है।
देहरादून में सृजन का सादगी भरा साहित्य उत्सव
प्रियदर्शन साहित्य समारोह अक्सर अपनी भव्यता और भटकावों में मुझे अरुचिकर लगते रहे हैं। इन समारोहों में साहित्य और विचार
नए साल पर पठन-पाठन का चैलेंज
सोशल मीडिया पर पिछले दो दिनों से शुभकामनाओं का सिलसिला चल रहा है, ऐसे में एक पोस्ट पर नज़र गई।
गए साल को चरण स्पर्श
नीलू अग्रवाल विदा, विदा, विदा…अलविदा। अब मिलेंगे नहीं कभी नहीं हमें है पता। हँसते हुए, फिर भी देते हैं विदा।
सुधीर जी आपका ये कदम ‘भलु लगद’
कार्टूनिस्ट भाटी के फेसबुक वॉल से हर इंसान के जीवन में एक ना एक फुंसुख वांगड़ू जैसा किरदार जरूर होता
देहरादून में साहित्य का समारोह और कुछ यादें
सुमन केशरी इस साल देहरादून लिट फ़ेस्ट में भाग लेने का सुयोग हुआ। शुक्रिया गीता गैरोला…शुक्रिया समय साक्ष्य! देहरादून लिट
‘सुशासन बाबू का फ़ैसला गांधीद्रोह से कम नहीं’
ब्रह्मानंद ठाकुर बिहार सरकार के एक फैसले को लेकर पिछले दिनों अखबारों में ‘बुनियादी विद्यालयों को खत्म करने पर तुली
पारदर्शी कैबिनेट में गांधी का चरखा और समय का चक्र
धीरेंद्र पुंडीर “ अगर हमने गांधी को विश्व की शांति के लिए एक मसीहा के रूप में जन-मन तक स्थिर
मेघदूत में ‘राम की शक्तिपूजा’
संगम पांडेय कथक नृत्यांगना प्रतिभा सिंह निर्देशित प्रस्तुति ‘राम की शक्तिपूजा’ में सबसे ज्यादा जो चीज दिखती है वो है