आंदोलनों में हिंसा तो होती है, चौरी-चौरा वाला दम नहीं दिखता

अमित ओझा 5 फरवरी 1922 गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा देश अब अंगड़ाई लेने लगा था।अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ बापू

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रामविलास के गोद लिए गांव मलाही में क्या बदला?

मौजूदा एनडीए सरकार के 4 साल के कार्यकाल के दौरान ग्रामीण विकास को लेकर कई तरह के वादे किए गए,

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खामोशियां… मनमोहन से मोदी तलक

रविकिशोर श्रीवास्तव हज़ार जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी…अगस्त 2012 का वो वक्त… जब तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह संसद परिसर

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सिमुलतला कैसे बनेगा नेतरहाट का विकल्प?

ब्रह्मानंद ठाकुर नेतरहाट एक ऐसा विद्यालय जहां से IAS और IPS समेत ढेरों अफसर निकलते हैं, कभी ये विद्यालय बिहार

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बदलाव के अतिथि संपादक की मीडिया से अपेक्षाएं और उनके संकल्प

डाॅ. संजय पंकज मीडिया की महती भूमिका से आज सम्पूर्ण विश्व सुपरिचित है। दिनानुदिन नई-नई तकनीकों और सुविधाओं से लैस

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वर्ल्ड थियेटर डे- हम सब के दिल में बसा है ‘नटकिया’

पशुपति शर्मा वर्ल्ड थियेटर डे। रंगमंच के उत्सव का एक दिन। वो उत्सवधर्मिता जो रंगकर्म में स्वत: अंतर्निहित है। यकीन

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