पीयूष बबेले ‘गांधीजी’ शब्द मैंने पहली बार कब सुना, यह बता पाना नामुमकिन है. जैसे कि और भी बहुत सी
Category: मेरा गांव, मेरा देश
सेंटिमेंटल होने से मत डरिए जनाब
पशुपति शर्मा भावुक हो जाना भला भी है बुरा भी। भावुकता में संतुलन बिगड़ जाता है। भावनाओं पर संतुलन बना
‘साक्षात्कार अधूरा है’- गुरु से गुरु तक की यात्रा
पशुपति शर्मा बंसी दा के साथ काम करने का अपना अनुभव है। रचना-कर्म के दौरान एक आत्मीय रिश्ता रहता है
गुरु बंसी कौल ने अपने गुरु से यूं जोड़ दिया नाता
पशुपति शर्मा शिक्षक दिवस पर तमाम गुरुजनों को नमन। इस बार रंगकर्म के गुरु बंसी कौल से जुड़ी कुछ यादें
दुष्यंत के शहर में, दुष्यंत की तासीर अभी बाक़ी है !
राजेश बादल एक सितंबर को दुष्यंत कुमार संग्रहालय में सबने दिल की गहराइयों से दुष्यंत को याद किया। रात देर
कोसी में जल प्रलय के 11 बरस और डरे-सहमे लोग
पुष्यमित्र इन दिनों 2008 की कोसी बाढ़ के इलाके में घूम रहा हूं। यह इलाका नेपाल से सटा है और
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ मुहिम और ट्रेन में बीतता एक बेटी का बचपन
आशीष सागर बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ सुनने में ये स्लोगन काफी अच्छा लगता है, लेकिन इसको साकार करने के लिए हमारा
विंध्य की पहाड़ियों में आस्था और पर्यटन का अद्भुत संगम
पुरु शर्मा विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं की रमणीय वादियों की गोद में बसा अलौकिक शक्ति और आस्था का केंद्र करीला धाम।
रंगकर्मी प्रसन्ना को ‘कारवां-ए-हबीब सम्मान’
वर्ष 2019 के ‘कारवां-ए-हबीब सम्मान’ के लिये हम सबके प्रिय रंगकर्मी, निर्देशक, गांधीवादी चिंतक एवं एक्टिविस्ट प्रसन्ना को हार्दिक बधाई
राजनीतिक ‘गैंगवार’ की दहलीज पर खड़ी देश की सियासत !
राकेश कायस्थ अगर आप हिंदी फिल्में देखते हैं तो कर्मा के डॉक्टर डैंग का किरदार याद होगा। वही डॉक्टर डैंग