बिहार के सारण ज़िले का शेरपुर गांव। आज़ादी के सात दशक बाद भी अलसुबह की कुछ तस्वीरें नहीं बदल
Category: मेरा गांव, मेरा देश
न पटवारी, न अधिकारी… हम बदलेंगे गांव
हम अक्सर गांव की समस्याओं के लिए शासन, पंचायत या फिर सरपंच को दोषी ठहराते रहते हैं। कभी कहते हैं
दो पैसे, बुढापे के लिए बचा लो भाई!
गरीबों और शोषित वर्गों के लोगों का बुढ़ापा सुरक्षित करने के लिए भारत सरकार ने 2014-15 के बजट में बीमा
तीन बेर ही टूटता है वीराने बिरौल का सन्नाटा
पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने 400 स्टेशनों के कायाकल्प की योजना को हरी झंडी दे दी
शासन का ‘सुडोकू’ सुलझाएगी गांव की बेटी
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) के इम्तिहान में इस बार महिलाओं ने बाजी मारी है, उन्हीं में एक नाम है
मन कवि, दिल पत्रकार और जज़्बा गांव बदलने का…
देश की सर्वोच्च सेवा के लिए अधिकारियों की नई जमात चुन ली गई है। इस समय हर तरफ देश के
वो तो शौचालय भी हज़म कर गए!
देश के प्रधानमंत्री और ‘निर्मल भारत‘ अभियान के संयोजक नरेंद्र मोदी यूँ तो अपने संसदीय इलाके काशी के जयापुर गाँव
सूरज के ताप से रौशन कर लें अपना गांव
अब समय आ गया है कि पंचायतों की ज़िम्मेदारियां बढ़ाई जाएं। पंचायतें मजबूत होंगी तो देश तेजी से तरक्की करेगा।
गांव से अम्मा डांटेगी LIVE
”वक़्त बहुत तेजी से बदल चुका है। पहले हम लोग कभी किसी परिवार में जाते थे और छोटे बच्चे
बकरी तेल लगाती है, कंघी करती है… !
शीर्षक को समझने के लिए आपको यह लेख पूरा पढ़ने की ज़हमत उठानी होगी। यह रिपोर्ट जो मैं लिख रहा