संडे हो या मंडे, अंडे से समझिए ज़िंदगी के फंडे

संडे हो या मंडे, अंडे से समझिए ज़िंदगी के फंडे

प्रशांत दुबे

prashant-sanjay-1वैसे तो संदेशा देने के लिए आजकल सरकारी महकमों में एक अलग ही शाखा होती है, जिसका नाम होता है आई ई सी शाखा। पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो स्वप्रेरणा से सन्देश देने का काम करते हैं। आइये इनसे मिलते हैं, ये हैं अखिलेश शर्मा (73 वर्ष), अंडे की दुकान चलाते हैं। दुकान का नाम भी अनोखा संजय सेहत कार्नर। संजय इनके सुपुत्र का नाम है। भोपाल में एम पी नगर के विशाल मेगा मार्ट के सामने इनकी दुकान (हाथ ठेला) है। जो इनकी दुकान की विशेषता है, वह यह कि ये रोज अपनी दुकान के सामने बने काउंटर पर एक सन्देश लिखते हैं। कोई भी सार्थक सन्देश, जो कभी-कभी कटाक्ष भी होता है। श्री शर्मा बताते हैं कि आज से कोई 18 साल पहले, ओम साईं राम लिखने से शुरुआत हुई थी। वे कहते हैं कि लोगों ने पसंद किया तो सिलसिला चल पड़ा।

prashant-sanjay-2वे अभी तक जो सन्देश एक बार लिख चुके हैं, वह दोहराया नहीं है। यानी अभी तक वे मौलिक रूप से 6500 सन्देश लिख चुके हैं। वे कहते हैं कि इस सन्देश को लिखने के लिए टीवी देखता हूँ, पेपर पढ़ता हूँ, विषय निकालता हूँ। इन्होंने संदेश देने के लिए कार्नर को डिजाईन किया है। सन्देश ऐसा बनाना भी जरुरी है कि जो मेरे फ्रेम में आ जाए। अखिलेश के मुताबिक निर्भया केस ने अंदर तक प्रभावित किया था, तो मैंने उस समय लगभग 20 दिन तक एक ही विषय पर अलग-अलग सन्देश लिखे थे।

हम गली-मोहल्ले में छोटे दुकानदारों को यूं ही नजरअंदाज करते चलते हैं, जबकि ये वे रचनाकार हैं जो मौलिक हैं। इनकी जिद भी कुछ खास है, जो ठान लिया तो ठान लिया। सोचिये 18 साल से बगैर नागा एक सन्देश दे रहे हैं। कोई छोटी बात मत समझ लीजियेगा, बड़ा काम है यह इनका। यह जरूर ध्यान रखें कि यह जो काम कर रहे हैं उसके लिये इन्हें कोई तनख्वाह नहीं देता है। बस प्रतिबद्धता है अपने आप से …।

कुछ दिनों पहले मैंने एक सन्देश पढ़ा था “बेटा-बेटी एक समान”। उस दिन से इनका साक्षात्कार करने का सोच रहा था| हाल में एक कटाक्ष वाले सन्देश के समय इनसे बात हो पाई, जो मौजूं है “We accept 500 /1000″। अबकी बार एमपी नगर जायें तो इनका हुनर और ज़ज्बा जरूर देखिये|


prashant-dubey-profileप्रशांत दुबे। बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। सामाजिक कार्यकर्ता, शोधकर्ता, मीडियाकर्मी। कभी-कभी रंगकर्म में भी हाथ आजमा लेते हैं।