‘सरकारी मंडी’ में दम तोड़ता कुटीर उद्योग

‘सरकारी मंडी’ में दम तोड़ता कुटीर उद्योग

नीरज सारांस

देश में लोक कलाओं की लंबी परंपरा रही है। लोक कलाएं जीवन का आधार रही हैं, क्योंकि इसके ज़रिए कई पीढ़ी से लोग जीवन यापन कर रहे हैं। मिथिला पेंटिंग को ही ले लीजिए, मधुबनी और दंरभगा ज़िले की इस लोक कला से कई महिलाएं अपनी जीविका चलाती हैं. पश्मीना-कुमाऊंनी शॉलें, लखनऊ की चिकन, झारखंड की सोहराई चित्रकला,  हथकरघा,  रेशम, बेंत और बांस के सामान, गलीचों की बुनाई, चनापटना खिलौने जैसी कई पारंपारिक कलाएं हैं, जिसमें देश की बड़ी आबादी लगी है, लेकिन सवाल यह है  कि क्या पारंपरिक कलाकार बाज़ार के साथ सही तालमेल बैठा पा रहा है।  जवाब बहुत मुश्किल नहीं है, जितनी समृद्ध हमारी लोक कला, दस्कारी की धरोहर है, उतना उनका प्रसार-प्रचार नहीं हो पाया।

शनिवार को दिल्ली के NDIM (नई दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ) में मिथिला अस्मिता ने ट्रेडिशनल आर्ट इंटरप्रेन्योरशिप समिट का आयोजन हुआ। समिट में पारंपारिक कलाओं के ज़रिए देशभर में रोजगार को बढ़ावा देने पर जोर रहा ।  इस समिट में NIFT, मिथिला अस्मिता, हावर्ड यूनिवर्सिटी, कुमाऊ हैंडीक्राफ्ट जैसी संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए। मिथिला अस्मिता की इहिताश्री कहती हैं कि लोक कला से जुड़े कुटीर उद्योग में कृषि के बाद सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन सही दिशा और पर्याप्त सहयोग नहीं होने के कारण कलाकारों को बाज़ार का उतना फायदा नहीं होता है, जितनी क्षमता है। उनके मुताबिक अब परंपरा को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का समय है ताकि हम अपनी विरासत को न सिर्फ सहेज सकें, बल्कि उससे रोजगार भी पैदा करें ।

समिट में शिल्पकारों और कलाकारों का ये कहना है कि सिर्फ सरकारी प्रयास से इस सेक्टर का विकास नहीं होगा। न सिर्फ सरकार को और काम करने की ज़रुरत है, बल्कि कॉर्पोरेट इंडिया, दूसरी संस्थाओं को भी सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। उनके मुताबिक सरकार के डिजिटल इंडिया जैसे प्लेटफार्म पर लोक कलाओं को लाना चाहिए ताकि इसका प्रसार हो और रोजगार का ज्यादा से ज्यादा सृजन हो सके। समारोह में बतौर मुख्य अथिति के तौर पर शिरकत करने वाली जया जेटली ने कला को सहेजने पर ज़ोर देते हुए कहा कि हर कला एक कहानी कहती है, समारोह के दौरान प्रदर्शनी में देश के अलग-अलग इलाकों के कलाकारों ने अपने शिल्प का प्रदर्शन किया।


 

नीरज सारांस/ मिथिला के वासी, पिछले कई बरस में दिल्ली में निवास लेकिन माटी की महक हमेशा बिखेरते रहते हैं। दिल में लोक कलाओं के तार हमेशा झंकृत होते रहते हैं । फिलहाल एक दशक से ज्यादा वक्त से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय ।