यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इन दिनों प्रदेश भ्रमण पर हैं । वैसे तो वो पिछले कई बरस से यूपी की सियासत में अपनी छाप छोड़ते रहे हैं फिर भी सीएम बनने के बाद प्रदेश की वास्तविकता से रुबरू होने के लिए वो आए दिन खुद जिलों का चक्कर काट रहे हैं । ये अच्छा भी है सूबे का मुखिया की सक्रियता से अधिकारी से लेकर आम जनता तक की असलियत जानने मदद भी मिलती है, लेकिन देवरिया में शहीद प्रेम सागर और फिर बांदा में स्कूली बच्चों के साथ जो कुछ हुआ उससे एक बात तो साफ है कि अफसरों को सिर्फ अपने से मतलब है जनता से नहीं और सीएम साहब भी ये देखकर खुश हो जाते हैं कि उनकी आवभगत में कोई कमी नहीं रह गई ।
खैर हम बात कर रहे हैं बांदा जिले के गुरेह गांव की जहां पिछले दिन सीएम योगी के दौरे के दौरान खूब ड्रामा हुआ । बच्चों को नई ड्रेस और नये बैग बांटे गए, लेकिन उधर सीएम साहब बांदा से बाहर निकले उधर बच्चों से बैग वापस ले लिया गया । स्थानीय मीडिया ने जब इस ख़बर को छापा तो लखनऊ तक अफसरों के पसीने छूटने लगे, लिहाजा आनन-फानन में जांच कराई गई । जांच करने जो साहब आए वो भी टीचरों का काजू-बादाम खाकर असल बात हजम कर गए । दरअसल ये मामला 20 मई का है, जब सीएम योगी आदित्यनाथ का बाँदा दौरे पर आए थे । लिहाजा गाँव गुरेह और महोखर को 24 घंटे में चमका दिया था। गाँव की बजबजाती सड़कें, उखड़े नाले और हैंडपंप सब दुरस्त कर दिया गया एक तरह से ऐसा माहौल बनाया गया कि बांदा में कोई बदहाली नहीं हैं । ये गांव जिला मुख्यालय से पास में था लिहाजा सीएम का औचक निरीक्षण न हो जाये इसलिए स्कूल से लेकर सड़क तक सब कुछ रातों रात सही कर दिया गया। स्कूली बच्चो को काफी कुछ रटाकर उन्हें नए बस्ते दिए गए।
जूनियर बालक स्कूल में 62, कन्या जूनियर में 45, प्राथमिक स्कूल में 40 बच्चो को नये बस्ते बांट दिए गए । ताकि सीएम साहब अगर आएं और स्कूल में बच्चों की हालत देख खुश हो जाएं और अधिकारियों की पीठ थपथपाएं जबकि ऐसा करने से न तो स्कूल की सेहत सुधरने वाली है और ना ही शिक्षा की । खैर हद तो तब हो गई जब सीएम साहब के जाते ही बच्चों से बैग वासप ले लिये गए । मामला तूल पकड़ा तो प्रभारी कमिश्नर डाक्टर सरोज कुमार ने एडी बेसिक झाँसी जाँच के आदेश दिए । एडी बेसिक जांच के लिए प्राथमिक स्कूल भी गए ।यही नहीं जब जांच करने अफसर महोदय स्कूल पहुंचे तो वहां सूअरों ने अपना डेरा डाल रखा था, लेकिन जांच अधिकारी टीचर्स के साथ काजू-बादाम खाकर असलियत डकार गए । जबकि अभिभावक और बच्चों ने वही बताया जो कुछ उस दिन हुआ था
अब सवाल ये है कि अगर सबकुछ महज दिखावे के लिए ही करना है तो फिर सीएम साहब के जिलेवार दौरों का मतलब क्या है । वास्तविका की अगर उन्हें जानकारी नहीं तो उसकी जानकारी जुटाने के तमाम रास्ते हैं इसके लिए लाव-लश्कर के साथ जाने की जरूरत नहीं । अगर आप यूपी को उत्तम प्रदेश बनाने का सपना देख रहे हैं तो उसको लेकर आपको गंभीरता भी दिखानी होगी । ये हाल सिर्फ बांदा का नहीं बल्कि पूरे यूपी का है । इसलिए दिखावे की बजाय सीएम साहब को सूबे की बदहाली दूर करने के लिए गंभीरता से विचार करना चाहिए ।
बाँदा से आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष सागर की रिपोर्ट। फेसबुक पर ‘एकला चलो रे‘ के नारे के साथ आशीष अपने तरह की यायावरी रिपोर्टिंग कर रहे हैं। चित्रकूट ग्रामोदय यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। आप आशीष से [email protected] इस पते पर संवाद कर सकते हैं।
जी आशीष सागर जी , मुगालते में मत रहिए। सत्ता में किसी व्यक्ति के आ जाने मात्र से व्यवस्था नहीं बदलती। व्यवस्था मतलब कार्यपालिका , विधायिका र न्यायपालिका ।यही सत्ता का हथियार होता है। इसे संसदीय राजनीति से नहीं बदला जा सकता। यह क्रांति से ही बदली जा सकती है। योगीक्षजी से ऐसी उम्मीद नहीं कियाक्षजा सकता ।वे सब कुछ अपने वर्गहित (पूंजीपतियों के हित )मे ही करेंगे। मीडिया चाहे तो उनकाक्षगुनगान करता रहे। उसका भी अपना स्वार्थ हैँ