अमरेश मिश्र कोरेगांव की लड़ाई का जश्न मैं कभी पचा नहीं पाया। फिर भी, आधुनिक भारत की जटिल जातीय राजनीति
Author: badalav
पल्लवी ने बनाई बिहार की ‘पहली प्लास्टिक की सड़क’
आपके आस-पास फैला प्लास्टिक का कचरा आपके लिए कूड़े से ज्यादा कुछ नहीं होता, लेकिन क्या आप सोच सकते हैं
‘करोड़ों’ की जमीन का मालिक मजदूरी करने को मजबूर
शिरीष खरे अलेक्जेंड्राइट नाम के दुनिया के बेशकीमती पत्थर जिस खेत से निकले उस खेत का मालिक कैसा होना चाहिए
अदालतों में फ़ैसले होते हैं, इंसाफ़ हो यह ज़रूरी नहीं
राकेश कायस्थ सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पी.वी. सावंत ने आजतक को जो इंटरव्यू दिया है, उसमें बहुत सी
इंसाफ़ के ‘राजर्षि’ का संकल्प, कोई फरियादी मायूस न लौटे
बदलना अगर स्वभाव है तो बदल डालने की मुहिम का हिस्सा बन जाओ। इसे करने में थोड़ा कष्ट तो होगा
सुकून का कहीं कोई वाई फाई नेटवर्क नहीं!
सच्चिदानंद जोशी मैं जैसे ही उस रिसोर्ट में दाखिल हुआ अचंभित रह गया। शहर से इतने पास, लेकिन शहर के
सुहाग की रक्षा के लिए संतान का सौदा क्यों?
ब्रह्मानंद ठाकुर हमारा समाज और सरकार देश को किस ओर ले जाना चाहता है, आज के दिनों में ये एक
दांडी बंगला और डाक बंगले का फ़र्क मिटने को है!
धीरेंद्र पुंडीर “नाम क्या है इसका।” एक वीरान से पड़े बंगले के अंदर खड़े होकर मैंने बंगले में बैठे उस
किसके डर की अभिव्यक्ति है भीमा-कोरेगांव की घटना
ब्रह्मानंद ठाकुर जहां तर्क और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को सिरे से नकारते हुए अंधविश्वास, कूपमंडूकता और अतार्किक मानसिकता को बढावा देकर
जौनपुर के मोहिद्दीनपुर गांव ने लिया बदलाव का संकल्प
विजय प्रकाश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों का भारत तभी बनेगा जब गांव खुशहाल होंगे और शिक्षा, स्वास्थ्य समेत तमाम