विकास मिश्रा 1982 में आई थी फिल्म ‘नदिया के पार’। तब मेरी उम्र 12 साल की रही होगी। गाना सुपरहिट
Author: badalav
हमारे बदहाल गांव और सशक्तीकरण का छलावा
शिरीष खरे सशक्तीकरण का अर्थ है देश के वंचित तबकों के जीवन में बदलाव लाना। इससे वह अलग-अलग क्षेत्रों में
‘बेजुबान’ हिंदुओं की आवाज़ बनने का दावा करने वाले मोदी क्या अटल से कुछ सीखेंगे?
पुष्यमित्र अब जबकि मोदी सरकार अपने कार्यकाल का साढ़े चार साल पूरा कर चुकी है, यह बात अब पुख्ता तरीके
अमजद साहब! 34 साल बाद कुछ यूं मिले… कैसा लगा आपको?
सच्चिदानंद जोशी बात आज से चौंतीस (34) बरस पहले की होगी। उन दिनों एमए के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर
सौंदर्यीकरण के नाम पर ‘अतिक्रमण’
पुष्यमित्र के फेसबुक वॉल से साभार/यह दरभंगा के एक ऐतिहासिक तालाब का चित्र है। सम्भवतः हराही का। वहां सौंदर्यीकरण हो
दम तोड़ता बेनीपुरी के सपनों का भारत
ब्रह्मानंद ठाकुर/ कलम के जादुगर रामवृक्ष बेनीपुरी । यह नाम जेहन में आते ही एक ऐसे व्यक्ति का चित्र उभरता
…तो आप अपने बच्चों के केंद्र में कभी नहीं रह पाएंगे।
दयाशंकर मिश्रा के फेसबुक वॉल से साभार/ मेरे पास परिवार के लिए समय नहीं बचता। सुबह, बच्चे जब स्कूल जाते
पत्रकारिता और साहित्य का अद्भुत संगम है ‘बेख़ुदी में खोया शहर’
टीम बदलाव/ ‘गोदी मीडिया’ के दौर में पत्रकारिता पर उंगली उठाने का काम खुद पत्रकार या फिर लेखक ही कर
संवैधानिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा की ओर बढ़ते कदम
शिरीष खरे/ हर कक्षा में ‘मूल्यवर्धन’ की गतिविधियों को संचालित करने के लिए दो प्रकार की गतिविधि पुस्तिकाएं होती हैं।
दंगों का दर्द और इंसाफ की धीमी रफ्तार
उर्मिलेश जी के फेसबुक वॉल से साभार/न्याय के लिए अगर 34 साल का लंबा इंतजार करना हो तो उस न्याय