युवा लेखकों के प्रेरणास्रोत, गालिब छूटी शराब, सृजन के सहयात्री जैसे संस्मरण, खुदा सही सलामत है, 17 रानाडे रोड और एबीसीडी
Author: badalav
नये साल की ‘नव प्रभा’
निशांत जैन नवल विभा हो, नवल प्रभा हो नवल-नवल कांति आभा हो । नव प्रभात हो, नव विहान हो नव
मालदा से पूर्णिया तक ‘आग’ पर कोई न सेंके अपनी ‘रोटी’
कहां छिप गए वे सेक्युलर, मानवतावादी… ! पद्मपति शर्मा (फेसबुक वॉल पर) मालदा के बाद पूर्णिया ! यह हो क्या
छात्रों की कामयाबी ही गुरु का सबसे बड़ा सम्मान
पुरुषोत्तम असनोड़ा रविवार हो या कोई छुट्टी का दिन, गुरुजी रोज विद्यालय जाएंगे, पढायेंगे और अच्छे नम्बरों के टिप्स अपने
कहा था जिंदगी बदल देंगे, पर गांव की ज़मीन लूट ली
शिरीष खरे वन को राजस्व ग्राम बनाते समय विकास का झांसा देकर जिंदगी बदल देने की बात की थी, लेकिन
‘घास की रोटी’ का जुमला यूं ही न उछालिए जनाब
आशीष सागर दीक्षित ” एक वो है जो रोटी बेलता है, एक वो है जो रोटी सेंकता है ! एक
अख़बार के 8 पन्नों में मां की ममता का संसार
डॉ प्रकाश हिंदुस्तानी विजय मनोहर तिवारी ने अपनी मां श्रीमती सावित्री तिवारी को अलग तरीके से विदाई दी। उन्होंने अपनी
एमु पालन-बड़े फायदे का सौदा है लखटकिया कारोबार
कन्हैया लाल सिंह जमशेदपुर से कोई छह किलोमीटर की दूरी पर एनएच 33 किनारे स्थित गांव बागुनहातु में रिटायर्ड प्रोफेसर
ये फ़िक्र बे’कार’ नहीं, बेकार है सियासी ‘चिल्ल-पों’
सैयद जैग़म मुर्तज़ा भाई दिल्ली में बे-कार रहने वाले हम जैसे लोग तो ख़ुश हैं। पिछले पांच साल में चंद
मेरे गांव, तेरा जन्मदिन हम भी मनाएंगे
अरुण प्रकाश 7 नवंबर 2015 की वो तारीख देश हमेशा याद रखेगा । ये वही तारीख है जब देश के