हेमन्त वशिष्ठ ये तस्वीर आपसे कुछ कहना चाहती है… ये बेफिक्री… कुछ कहना चाहती हैं… कुछ कहना चाहते हैं ये
Author: badalav
गांव वालों ने लौटाईं अस्पताल की ‘सांसें’
पुष्यमित्र यह उन हौसले वाले ग्रामीणों की कथा है, जिन्होंने हाईकोर्ट से लड़ कर अपने गांव के बंद पड़े अस्पताल
गांधी के ग्राम-स्वराज को साकार करता गांव
शिवाजी राय चमचमाती गलियां, रात को हर चौक-चौराहे पर जलते लैंप पोस्ट, सुबह के वक़्त गलियों में साफ-सफाई करते बच्चे,
‘सागर’ की गहराई तो समझो साहब !
अरुण यादव पिछले कुछ दिनों से आशीष सागर दीक्षित का फेसबुल वॉल नहीं देख पाया था, लेकिन जब बदलाव पर
किताबी कायदों में ज़िंदा जज़्बातों की क़ब्र न बने साहब!
सत्येंद्र कुमार यादव आप समाजेसवी हैं, सच्चे दिल से समाज की सेवा में लगे हैं, सामाजिक सरोकारों को लेकर किसी
इस बदलाव को नज़र ना लगे!
सत्येंद्र कुमार यादव बिहार में एक बार फिर सियासत गरम है । हर गली-मोहल्ले में नुक्कड़ पर सियास की बातें
कर्जदार हम भी, कर्जदार तुम भी… बस किस्मत जुदा-जुदा है!
धीरेंद्र पुंडीर दस साल का बच्चा था। गांव में जाना था। एक जीप कॉपरेटिव डिपार्टमेंट की थी। उसमें बैठा हुआ
वो बस, जिसने हज़ारों लड़कियों के सपनों को दी रफ़्तार
पुष्यमित्र कैमूर जिले के रामगढ़ प्रखंड का एक सुदूरवर्ती गांव है बनका बहुआरा। इस गांव में हर रोज सुबह आठ बज
लो आ गया फागुन निगोड़ा
तुम न आये और फिर लो आ गया फागुन निगोड़ा साल पिछले भेजते इसको कहा था, हाथ में इसके तुम्हारा,
शिव का एक ऐसा धाम जहां हर साल बढ़ता है शिवलिंग
अरुण प्रकाश अगर आप पर्यटन के शौकिन हैं और पौराणिक महत्व की नई-नई जगहों पर जाना पसंद करते हैं आपके