जब, तुम खोद रहे होते हो खाई अपने और उनके बीच सिर पर टोकरा लिए वो बना रहे होते हैं
Author: badalav
इब्नेबतूता के किस्सों में मौजूद नदी एक ‘किस्सा’ ही बन गई!
ज़ैग़म मुर्तज़ा उत्तर प्रदेश का अमरोहा क़रीब तीन लाख की आबादी वाला क़स्बा है। इब्ने बतूता ने अपने सफरनामे में
गेहूं ने निराश किया, मक्का से उम्मीदें
रुपेश कुमार चौकाने वाले आंकड़े हैं कि जिले में प्रत्येक वर्ष गेहूं की उत्पादकता कम होती जा रही है। राष्ट्रीय
भारत माता की जय, समर्थन-विरोध का खेल निराला है!
पन्ना लाल भारत में देशभक्ति पर चल रही बहस को संदर्भों में देखने की जरूरत है। मातृभूमि की पूजा को
मैनपुरी का ‘मास्टर्स इन फ्लावर’
अरुण यादव बदलाव की बयार कब और कहां से निकलेगी ये कोई नहीं जानता । क्या आप सोच सकते हैं
आजाद ज़िंदगी की जंग
मनोज कुमार आजाद ज़िंदगी पाने की जंग अब भी बाकी है उम्मीद रोशनी की लौ अब भी जलाना बाकी है
परशुराम की तपोभूमि में एक और तपस्या
सत्येंद्र कुमार यादव 19 अप्रैल को गांव पिंडी, देवरिया जाना हुआ। 20 अप्रैल को मामा के बेटे की शादी थी।
30 साल बाद… अपने कॉलेज में ‘ताका-झांकी’
अजीत अंजुम की फेसबुक वॉल से अतीत बहुत पीछे छूट जाता है । असंख्य चेहरे होते हैं, गड्डमड्ड से ।
नौबतपुर का अनोखा रामभक्त
पुष्य मित्र देश में कभी राम को लेकर वाकयुद्ध चलता है तो कभी भारत माता के नाम पर महाभारत, लेकिन
देवरिया का मंत्र- शुरू हो ‘विकास यात्रा’
सत्येंद्र कुमार यादव फसल बीमा योजना, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, मुद्रा बैंक, कामधेनु योजना, समाजवादी पेंशन योजना जैसी तमाम योजनाएं