सचिन कुमार जैन युद्ध ऐसी भूख है जो जिन्दा को खाती है इंसान हो, जानवर हो नदी हो, या बर्फ
Author: badalav
गांवों में ‘खाट की लूट’ का महंगाई कनेक्शन
नरेंद्र अनिकेत कुछ साल पहले देश में एक सरकार हुआ करती थी। अब वह सरकार इतिहास में समा गई है।
नया पमरिया के दस ढोलकिया
एम अखलाक बिहार के हर अंचल की अपनी खास सांस्कृतिक विशेषता रही है। बात चाहे लोक कलाओं की हो, खान-पान
सहमी सांसों के लिए आपको नहीं चुना नीतीशजी
सुदीप्ति हाल ही में एक खबर मिली। ननिहाल की पड़ोस का एक लड़का अपना एक छोटा-सा काम करते हुए मारा गया।
फ्लॉप फिल्म में जिंदगी का हिट फंडा
मुझे बहुत कुछ करना है, बहुत आगे जाना है। रिश्ते-नाते और करियर के बीच कहीं जिंदगी खत्म तो नहीं हो
समाजवादी संग्राम की ‘अमर’ कथा
अरुण प्रकाश यूपी में मुलायम परिवार में पांच दिन तक चले समाजवादी संग्राम फिलहाल विराम लग गया है। पार्टी सुप्रीमो
नहीं रहे प्रभाकर श्रोत्रिय
श्रोत्रिय जी को विनम्र श्रद्धांजलि। उनके निधन का समाचार सुन कर गहरा आघात लगा। उनकी बीमारी की सूचना अभी कुछ
सहरसा के आरण गांव में नाचे मन ‘मोर’
पुष्य मित्र आपके घर के बाहर अगर मोर नज़र आ जाए तो बरबस ही मन नाच उठेगा और बचपन की
हिंदी दिवस पर ऑस्ट्रेलिया से मैसेज आया है
सत्येंद्र कुमार यादव हिंदी दिवस पर देश में हिंदी की खूब चर्चा होती है लेकिन 14 सितंबर बीतते ही सब
इंटरनेट के दौर में दो पीढ़ियों के दो अलग-अलग युग
संगम पांडेय जो दर्शक वही-वही नाटक देख-देख कर ऊब चुके हों उन्हें निर्देशक सुरेश भारद्वाज की प्रस्तुति ‘वेलकम जिंदगी’ देखनी