मुझे बहुत कुछ करना है, बहुत आगे जाना है। रिश्ते-नाते और करियर के बीच कहीं जिंदगी खत्म तो नहीं हो
Author: badalav
समाजवादी संग्राम की ‘अमर’ कथा
अरुण प्रकाश यूपी में मुलायम परिवार में पांच दिन तक चले समाजवादी संग्राम फिलहाल विराम लग गया है। पार्टी सुप्रीमो
नहीं रहे प्रभाकर श्रोत्रिय
श्रोत्रिय जी को विनम्र श्रद्धांजलि। उनके निधन का समाचार सुन कर गहरा आघात लगा। उनकी बीमारी की सूचना अभी कुछ
सहरसा के आरण गांव में नाचे मन ‘मोर’
पुष्य मित्र आपके घर के बाहर अगर मोर नज़र आ जाए तो बरबस ही मन नाच उठेगा और बचपन की
हिंदी दिवस पर ऑस्ट्रेलिया से मैसेज आया है
सत्येंद्र कुमार यादव हिंदी दिवस पर देश में हिंदी की खूब चर्चा होती है लेकिन 14 सितंबर बीतते ही सब
इंटरनेट के दौर में दो पीढ़ियों के दो अलग-अलग युग
संगम पांडेय जो दर्शक वही-वही नाटक देख-देख कर ऊब चुके हों उन्हें निर्देशक सुरेश भारद्वाज की प्रस्तुति ‘वेलकम जिंदगी’ देखनी
बिहार में बाढ़ की ‘बांधलीला’
पुष्य मित्र बिहार में हर साल बाढ़ कहर बनकर टूटती है । लाखों लोग बेघर होते हैं और हजारों करोड़
राम कथा में गांव बनाम शहर की लड़ाई
नरेंद्र अनिकेत इन दिनों कई तरह के सपने तैर रहे हैं। ये सपने नहीं हैं, एक यूटोपिया है। शहर ऐसे
पोला पर्व पर बैल-दौड़ की परंपरा
शिरीष खरे हम छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रावणभाठा मैदान में हैं। यहां सुबह-सुबह किसान अपने बैलों को सजा-धजाकर लाए
स्वच्छता के लिए 30 किलोमीटर लंबी मानव शृंखला
अविनाश उज्ज्वल नीयत साफ हो और इरादा मजबूत तो हर काम आसान लगने लगता है । कुछ ऐसे ही हौसले