वैशाली , गाजियाबाद 27 नवंबर 2016। “पेड़ों की छांव तले रचना पाठ” के अंतर्गत 26वीं साहित्य गोष्ठी वैशाली सेक्टर चार
Author: badalav
सुनिए प्रेमचंद, आधुनिक होरियों की पीड़ा गाथा
ब्रह्मानंद ठाकुर प्रख्यात उपन्यासकार कथाकार मुंशी प्रेमचंद के गोदान का होरी आज भी भारत के खेत -खलिहानो में जिन्दा है।
काले धन पर बड़ी मुहिम का ‘लीकेज’ बंद करें वित्त मंत्रीजी
अभया श्रीवास्तव नोटबंदी से बड़ी उम्मीदें हैं। लोग आमतौर पर खुश हैं। इस आस में कि कालेधन पर नकेल कसेगी।
प्रकृति सोशल मीडिया से नहीं चलती !
कीर्ति दीक्षित इस साल हमने गर्मी में तापमान का उच्चतम् स्तर देखा, सूखे की भयावहता देखी, बूँद बूँद पानी के
नोटबंदी की ‘सियासी मंडी’ में अन्नदाता की सुध किसे ?
ब्रह्मानंद ठाकुर किसानों के खून-पसीने से उपजाई गयी फसल जब कौडियों के मोल बिकने लगे तो उनका दर्द समझना सब
बढ़ई बढ़ई खूंटा चीरs, खूंटे में मोर दाल बा …….
कुणाल प्रताप सिंह ” बढ़ई बढ़ई खूंटा चीरs, खूंटे में मोर दाल बा का खाऊं, का पीऊं का लेके परदेश
एक और हादसा… हादसे की लिस्ट में दर्ज कर भूल जाइए!
सौम्या सिंह रेल दुर्घटना, ये शब्द कान में जाते ही सबसे पहले क्या याद आता है आपको ? अच्छा छोड़िए…,
‘100 टके’ के सुकून का सवाल है साहब !
विकास मिश्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय साहसिक है। देशहित में है, इसमें किसी को कोई शक नहीं है। उनके
हताशा और ग़ुस्से पर पर्देदारी कब तक?
मधुरेंद्र कुमार सवाल नोटबंदी पर नहीं बल्कि नोट की उपलबध्ता को लेकर है। अव्यवस्था का आलम अराजकता को निमंत्रण देने लगा
कतार में खड़े हो समझते रहिए बट्टा खाते का गणित
आशीष सागर नोटबंदी के बाद से तो ऐसा लग रहा है जैसे शहर और गांव की दूरियां मिट गईं। ऐसा