पवित्र श्रीवास्तव अपनी दोनों बेटियों टीशा और तनीशा के साथ दंगल फिल्म देखी। मजा आ गया। आमीर खान और उनकी
Author: badalav
मोहलत… थोड़ी है, थोड़े की जरूरत है!
टीम बदलाव हिंदुस्तान की जनता 50 दिन बाद भी कतार में खड़ी है । प्रधानमंत्री मोदी ने वादा किया था
पटना साहिब की ‘दिलेर’ गाथा
पुष्यमित्र तख़्त हरमंदिर साहब के पीछे स्थित सेवादारों के क़्वार्टरों में इनदिनों बड़ी चहल पहल है। यह सरगर्मी उस खबर
पुराने तैमूर पर नया ‘उन्माद’ कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है!
कुमार सर्वेश मुझे आज सोशल मीडिया तैमूर लंग से ज्यादा खतरनाक लगता है। तैमूर तो अपने पेशे से खूंखार था।
गांवों में छत्तीसगढ़ी फिल्मों का संसार
बरुण के सखाजी सीमित संसाधन, प्रचुर व्यावसायिकता के अभाव के बावजूद व्यापक दर्शक वर्ग से बात करता छत्तीसगढ़ी फिल्मों का
एक महान साहित्यकार की दम तोड़ती विरासत !
ब्रह्मानंद ठाकुर मुज़फ्फरपुर जिले के औराई प्रखण्ड में आने वाले जनाढ पंचायत का एक गांव है बेनीपुर जो समाजसेवी, पत्रकार
पटना में प्रकाशोत्सव की रौनक
पुष्यमित्र पटना साहिब दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है । हर तरफ प्रकाशोत्सव की तैयारियां चल रही हैं ।
8 घंटे की नौकरी और पगार महज 42 रुपये
ब्रह्मानंद ठाकुर मुंशी प्रेमचंद की कहानी सद्गति का किरदार घासीराम हो या फिर रामवृक्ष बेनीपुरी के ‘कहीं धूप कहीं छाया’
बहती हुई नदी थे अनुपम जी
राकेश कायस्थ अनुपम जी को मैं बहुत अच्छी तरह जानता था। लेकिन कभी मुलाकात नहीं हुई। एक दिन अचानक उनके
आज भी खरे हैं ‘अनुपम मिश्र’
पुष्यमित्र सुबह से मन अनुपम मिश्र जी की यादों में अटका है। एक पल के लिये भी खुद को मुक्त