पुष्पांजलि शर्मा शहरों में सियासत के स्वर भले ही इस दंभ में चूर हों कि हमारा गांव बदल रहा है,
Author: badalav
देश अब और शहादत के लिए तैयार नहीं!
धीरेंद्र पुंडीर इतिहास एक जिंदा चीज है जो देश इसका अहसास नहीं करते उन्हें ये मुर्दा कर देता है। निर्णय
गणतंत्र, तुझसे कुछ शिकवे हैं!
मार्कण्डेय प्रवासी गणतंत्र भूख की दवा ढूंढ कर लाओ बीमार देश है , धन्वन्तर कहलाओ। रह रहे शारदा के बेटे
कश्मीर- किसके लिए कर्फ़्यू, तलाशियां, कष्ट और बलिदान
धीरेंद्र पुंडीर वो जवान किसके लिए वहां है। वो किस देश के वासी थे जो बहु-बेटियों की इज्जत और अपनी
गांधीवाद ही है आखिरी विकल्प- सच्चिदानंद सिन्हा
ब्रह्मानंद ठाकुर पूरी दुनिया आज बाजार बन गयी है। पूंजीवाद ने पूरी दुनिया को बारूद की ढेर पर लाकर खड़ा
छत्तीसगढ़ – सरकारी मयखाने तो खुलेंगे, पर मत पीना दो जाम
शिरीष खरे बिहार में शराबबंदी के बाद देश के दूसरे राज्यों में शराबबंदी की मांग जोर पकड़ती जा रही है
ढूंढिए… आपके आस-पास ही हैं ‘कबीर के लोग’
पुष्य मित्र बोरिंग कैनाल रोड पर अक्सर एक गाड़ी दिखती थी, जिसके पीछे लिखा होता था- कबीर के लोग। मैं
अरे, यहां तो सब बंजारे !
संजय पंकज मदहोशी में सारी जगती, थरती भरती भीड़ है अरे, यहां तो सब बंजारे, कहां किसी की नीड
एक ऑटो ड्राइवर की ईमानदारी को सलाम
पशुपति शर्मा अगर आपका बैग किसी ऑटो में छूट जाए और आपकी जेब में आगे के किराये के लिए पैसा
गांधी की ‘कर्मभूमि’ पर आज रो रही हैं ‘कस्तूरबा’
ब्रह्मानंद ठाकुर देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की चंपारण शताब्दी वर्ष मना रहा है । दिल्ली से लेकर बिहार तक प्रधानमंत्री