देवांशु झा ऐसा सितारा कभी-कभार चमकता है, जिसमें किसी हॉलीवुड हंक सी अदा हो, किसी आदर्श पौराणिक भारतीय चरित्र जैसा सुघड़
Author: badalav
‘ट्रेजर’ की दुख की यात्रा 28 को…
“भारतीय किसान कर्ज में ही जन्म लेता है और उसी स्थिति में मर जाता है” ‘दुख की यात्रा’ एक संकल्पनात्मक
क्या एक किसान हमारा राष्ट्रपति बन सकता है?
पुष्यमित्र इन दिनों देश अपने नये राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर उत्सुक है। हालांकि देश खुद अपना राष्ट्रपति नहीं चुनता।
ईवीएम का झूठ बोलना बंद करें केजरीवाल
धीरेंद्र पुंडीर ये अहंकार आप पर फबता नहीं है केजरीवाल जी। आप मुलायम, अजित या नीतिश नहीं है कि कोई
जीवन के संघर्षों से जिसने सीखा समाजवाद का पाठ
ब्रह्मानंद ठाकुर आम, कटहल,नींबू और अमरुद की घनी छांव तले एक छोटा सा घर । जिसका नाम है चमेला कुटीर
ठूंठ समय
अखिलेश्वर पांडेय यह समय एक ठूंठ समय है एक झूठ समय है एक ढीठ समय है जिसके पास सत्ता है
किसानों का आंदोलन स्थगित, सवालों की फ़सल लहलहा रही है?
सत्येंद्र कुमार यादव पिछले 41 दिनों तक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने वाले किसानों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं होती रहीं।
वैशाली, वसुंधरा में पानी की परेशानी में गोविंद को याद करें
वैशाली और वसुंधरा में एक पलम्बर गोविंद सिंह आते हैं। वो गोरखपुर के रहने वाले हैं। बेहद सीधे-सादे। उन्हें हमने
‘सरकार’! तमिलनाडु के ‘हार्ड वर्कर्स’ की सुध लीजिए ना
पशुपति शर्मा तमिलनाडु के किसानों का धरना प्रदर्शन पिछले 40 दिनों से जंतर-मंतर पर चल रहा है। कभी वो अर्धनग्न
पृथ्वी दिवस पर एक कवि को हरियाली की आशा
ईशान ‘पथिक’ पतझड़ की सूनी शाखों को नित है हरियाली की आशा, फिर से मानवता लौटेगी जोह रहा पथ “पथिक”