बदलाव प्रतिनिधि, दिल्ली सच्चिदानंद जोशी, कभी आप उनमें एक शिक्षाविद ढूंढ सकते हैं। कभी उनमें आप एक संस्कृतकर्मी तलाश सकते
Author: badalav
गंगा की गोद में कंक्रीट के जंगलों के बाशिंदे
सत्येंद्र कुमार यादव जेठ की दुपहरी और गांव में पीपल की शीतल छाया में करीब 10 दिन गुजारने के बाद
दिल्ली की फैक्ट्रियों से छुड़ाए गए 29 बच्चे
बदलाव प्रतिनिधि, दिल्ली राजधानी दिल्ली के नबीगंज इलाके में एसडीएम करोलबाग प्रशांत कुमार यादव की अगुवाई में एक बड़ी छापेमारी
सिर्फ दिखावे से नहीं बदलेगी सूबे की सूरत सीएम साहब !
आशीष सागर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ इन दिनों प्रदेश भ्रमण पर हैं । वैसे तो वो पिछले कई बरस
क्या खोया क्या पाया हमने !
संजय पंकज पाकर खोया , खोकर पाया, कुछ भी नहीं गंवाया हमने । भीतर-भीतर मन जान रहा, क्या खोया क्या
विकास की अंधी दौड़ में दम तोड़ता गांव
ब्रह्मानंद ठाकुर हमारा गांव आधुनिकता की अंधी दौड़ में बुरी तरह हांफ रहा है। जो परम्पराएं, रीति-रिवाज, भाईचारा और मानवीय
बाल मन, बीमार जानवर और ‘डॉक्टर’!
जूली जयश्री कहते हैं कि बच्चों की कल्पना का संसार अपरिमित होता है। हम बड़े चाह कर भी उनकी इस
मां की ‘ख़ामोशी’ की भाषा समझते हैं हम
सर्बानी शर्मा मेरी मां। मां नहीं भाभी। वो हमारी मां नहीं बन पाईं कभी। हम उसे बचपन से ही भाभी
मदर्स डे- महिलाओं की रचनात्मकता का उत्सव
जूली जयश्री बदलाव और वुमनिया के संयुक्त प्रयास से गाजियाबाद के वैशाली में महिलाओं के लिए एक वर्कशॉप का आयोजन
क्या ऐसे ही खुशहाल होगा देश का अन्नदाता ?
ब्रह्मानंद ठाकुर “बाधाएं आती हैं आएं, घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसे यदि ज्वालाएं