ब्रह्मानंद ठाकुर हमारा गांव आधुनिकता की अंधी दौड़ में बुरी तरह हांफ रहा है। जो परम्पराएं, रीति-रिवाज, भाईचारा और मानवीय
Author: badalav
बाल मन, बीमार जानवर और ‘डॉक्टर’!
जूली जयश्री कहते हैं कि बच्चों की कल्पना का संसार अपरिमित होता है। हम बड़े चाह कर भी उनकी इस
मां की ‘ख़ामोशी’ की भाषा समझते हैं हम
सर्बानी शर्मा मेरी मां। मां नहीं भाभी। वो हमारी मां नहीं बन पाईं कभी। हम उसे बचपन से ही भाभी
मदर्स डे- महिलाओं की रचनात्मकता का उत्सव
जूली जयश्री बदलाव और वुमनिया के संयुक्त प्रयास से गाजियाबाद के वैशाली में महिलाओं के लिए एक वर्कशॉप का आयोजन
क्या ऐसे ही खुशहाल होगा देश का अन्नदाता ?
ब्रह्मानंद ठाकुर “बाधाएं आती हैं आएं, घिरे प्रलय की घोर घटाएं पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसे यदि ज्वालाएं
मदर्स डे मनाएं और करें अपनी रचनात्मकता पर नाज
Celebrating Mother’s day, in different way। जी हां, मदर्स डे के मौके को बदलाव और वुमनिया ने कुछ अलग तरह
स्वेक्षा- सुरों के सुरीले सफ़र की शुरुआत
लखनऊ प्रतिनिधि, बदलाव कविवर रविन्द्र नाथ टैगोर के 127वाँ जयंती के अवसर पर Bengali Club &Young men’s Association, Lucknow की
रंगमंच पर साकार राजकमल चौधरी की ‘मल्लाह टोली’
संगम पांडेय नीलेश दीपक की प्रस्तुति ‘मल्लाह टोली’ एक बस्ती का वृत्तचित्र है। ‘कैमरा’ यहाँ ठहर-ठहरकर कई घरों के भीतर
महानंदा के ठांव, दो चदरा की नाव
भूषण चौंकिए मत। यह जो चित्र आपके सामने है यह एक नाव का है। एक बड़ी नाव जितना काम कर
देखा एक ख्वाब तो बागों में खिल उठे गुलाब
इफको लाइव से साभार आज कल खेती को हर कोई घाटे का सौदा मानने लगा है। किसान खेतों में दिन