ब्रह्मानंद ठाकुर आजादी से 70 साल बाद हिंदुस्तान का अन्नदाता बदहाल है, देश का पेट भरने वाला किसान खुदकुशी को
Author: badalav
आत्मवंचना
अखिलेश्वर पांडेय शाबासी की सीढ़ीयां चढ़ते हुए पहुंच गया हूं उस मुकाम पर जहां से सिर्फ भीड़ दिख रही आंखें
बापू के हत्यारों की सोच आज भी जिंदा है !
अजीत अंजुम इस देश में बहुत बड़ी जमात ऐसी है, जिन्हें गांधी के हत्यारों में अपना आदर्श नजर आता है
रूस की समाजवादी शिक्षा-व्यवस्था दुनिया के लिए बनी मिसाल
ब्रह्मानंद ठाकुर भारत की आजादी के 70 दशक हो चुके हैं फिर भी हमारी सरकारें देश की जनता को शिक्षा
करणी सेना ने कर दी करोड़ों की ‘लीला’
‘ पद्मावती फिल्म में अलाउद्दीन एक धूर्त्त, अहंकारी, कपटी, दुश्चरित्र और रक्तपिपासु इंसान की तरह चित्रित है। वह अपने चाचा
पूर्णिया के सरवर ने छत पर ला दी बहार
बासु मित्र कहते हैं जहां चाह होती है, राह खुद ब खुद मिल जाती है। बिहार के पूर्णिया जिले के
हाईब्रिड से पैदावार बढ़ी, लेकिन जमीन की उर्वरता पर असर
ब्रह्मानन्द ठाकुर 21वीं सदी का हिंदुस्तान तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन देश का किसान इस रेस में पिछड़ता
‘अंतरात्मा की पीड़ित विवेक-चेतना’ के कवि को अलविदा
उदय प्रकाश ‘आत्मजयी’ वह कविता संग्रह था, जिसके द्वारा मैं कुंवर नारायण जी की कविताओं के संपर्क में आया. तब
मजदूरों की क्रांति से बदला रूस का इतिहास
ब्रह्मानंद ठाकुर नवंबर क्रांति के पहले अंक में आप ने पढ़ा कि कैसे फरवरी 1917 से लेकर नवंबर 1917 के
फल और सब्ज़ियों के दोस्ती की कहानी
चित्रलेखा अग्रवाल एक समय था जब फल और सब्जियां अलग अलग रहते थे। दोनों में दोस्ती कायम करने में चेरी