दंगल मुझे भारत में बनी सबसे अच्छी स्पोर्ट्स मूवी लगी। हॉल से निकलते वक्त मेरे 11 साल के बेटे ने पूछा- क्या सचमुच गीता के कोच ने फाइनल वाले दिन महावीर फोगट को कमरे में बंद करवा दिया था। मैंने जवाब दिया- मुझे मालूम नहीं, लेकिन आमिर खान ने फिल्म रिसर्च के बिना नहीं बनाई होगी। टाइम्स ऑफ इंडिया में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान गीता के कोच रहे पी.आर. सोढी का बयान आया । आमिर के धोबी पछाड़ से बिलबिलाते सोढ़ी साहब कह रहे हैं–दंगल ने मेरा ही नहीं पूरी कोच बिरादरी का अपमान किया है। मैं स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया और रेसलिंग फेडेरेशन से इस बारे में बात करके तय करूंगा कि इस बारे में आगे क्या करना है।
आमिर ने अब तक इस बारे में कुछ नहीं कहा है। बड़ी शख्सियत हैं, छोटे विवादों में क्यों उलझना चाहेंगे। लेेकिन फिल्म के निर्देशक नितेश तिवारी ने जो कुछ कहा है कि उससे यही लगता है कि सच और झूठ की मोटी लकीर अपनी सुविधा से पार कर ली गई है और ऐसा करते वक्त यह भी नहीं सोचा गया कि जो असली किरदार हैं, उन्हे स्क्रीन पर अपनी चारित्रिक हत्या होती देखकर कैसा महसूस होगा। डायरेक्टर नितेश तिवारी कहना है कि अगर हम क्लाइमेक्स में कोई ड्रामा नहीं डालते तो फिर फाइनल भी क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल जैसा ही दिखता। आमिर खान प्रोडक्शन की किसी फिल्म के निर्देशक की तरफ से ऐसा जवाब निराशाजनक है।
माना कि सिनेमा अतिरंजना का माध्यम है। यहां सबकुछ लार्जर देन लाइफ होता है। लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि दंगल फोगट सिस्टर्स से प्रेरित फिल्म नहीं बल्कि उनकी असली जिंदगी की फिल्म है, जिसके सारे किरदार वास्तविक है। ऐसे में तथ्य और किरदारों के साथ न्याय करना फिल्म मेकर की रचनात्मक ही नहीं बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी थी। क्या आमिर की इतनी बड़ी टीम क्लाइमेक्स का कोई दूसरा क्रियेटिव सॉल्यूशन नहीं ढूंढ पाई और सिर्फ अपनी सुविधा के लिए एक आदमी पर एक ऐसा आपराधिक कारनामा चस्पा कर दिया जो उसने किया ही नहीं था? अभी तक तो ऐसा ही लग रहा है। आमिर खान की ब्रॉडिंग एक अति-संवेदनशील कलाकार की है, जो दुनिया को अक्सर बताता है कि वह किस तरह बात-बात में रो पड़ता है। अनगिनत लोगो की तरह मैं भी आमिर का फैन हूं। लेकिन मुझे अक्सर यह भी महसूस होता है कि अच्छा कलाकार नैतिकता के सभी मानदंडों पर खरा उतरता हो यह कोई ज़रूरी नहीं है। तारे ज़मीं पर की क्रेडिट लाइन से निर्देशक के रूप में अमोल गुप्ते का नाम हटवाने की कंट्रोवर्सी मुझे अच्छी तरह याद है।
पीपली लाइव के मशहूर गाने महंगाई डायन के मूल गीतकार को पेमेंट ना मिलना और मीडिया में मामला उछलने के बाद भुगतान होना भी याद है। संवेदनशील आमिर ने पीपली लाइव को कॉमर्शियली कामयाब बनाने के लिए जो कुछ किया, उसे लेकर फिल्म के निर्देशक अनुशा रिज़वी और महमूद फारूख़ी खुलेआम अपनी नाराजगी जता चुके थे। ख़बर ये भी आई कि आमिर ने निर्देशक द्वय को उनके पूरे पैसे नहीं दिये या निर्देशक द्वय ने आमिर से विवाद होने के बाद बाकी पैसे लिये ही नहीं। मेरे पास इन ख़बरों की प्रमाणिकता की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन इतना ज़रूर कहूंगा कि आमिर की पेशेवर जिंदगी के साथ बहुत कुछ ऐसा चलता रहता है, जो उनकी छवि के उलट है। ताजा विवाद इसी की एक कड़ी है। कोच पी.आर.सोढ़ी का कहना है कि महावीर फोगट और उनकी बेटियों से मेरे रिश्ते बहुत अच्छे रहे हैं। फोगट बहनों पर पहले जिन लोगो ने किताबें लिखी हैं, उन्होने भी मेरी भूमिका की तारीफ की है। फिल्म की शूटिंग के दौरान मेरी आमिर से मुलाकत हुई थी। मेरे चेले कृपाशंकर ने उन्हे कुश्ती के दांव-पेंच सिखाये, उनकी हर संभव मदद की। फिर मुझे समझ नहीं आ रहा है कि आमिर ने मुझे अपनी फिल्म में इस तरह का क्यों दिखाया? आमिर खान प्रोडक्शंस को इस बात तर्कसंगत जवाब देना चाहिए। अगर जवाब नहीं है तो फिर आमिर को सॉरी बोलना चाहिए, हालांकि बिना बात किसी का नाम इतिहास के पन्नों में खलनायक के रूप में दर्ज करवा देना कोई मामूली अपराध नहीं है। लेकिन आमिर कम से कम थोड़ी मरहम तो लगायें।
राकेश कायस्थ। झारखंड की राजधानी रांची के मूल निवासी। दो दशक से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय । खेल पत्रकारिता पर गहरी पैठ, टीवी टुडे, बीएजी, न्यूज़ 24 समेत देश के कई मीडिया संस्थानों में काम करते हुए आपने अपनी अलग पहचान बनाई। इन दिनों स्टार स्पोर्ट्स से जुड़े हैं। ‘कोस-कोस शब्दकोश’ नाम से आपकी किताब भी चर्चा में रही।