टीवी पत्रकारिता से जुड़े 10 साल हो गए हैं । कई कमियों का बावजूद ये पेशा मुझे सबसे बेहतर लगता है तभी में आज तक इसके साथ बना हुआ हूं । अक्सर ये सुनने को मिलता है कि घर की बातों को बाहर नहीं ले जाना चाहिए लेकिन घर का सदस्य सभी कायदे कानून, संवेदनाओं की अनदेखी करें तो चुप रहना गुनाह है । हम बात गुरुग्राम में 7 साल के प्रद्युम्म की हत्या और टीवी कवरेज की कर रहे हैं । ये सच है कि मीडिया इस मामले को लेकर पहले दिन खामोश सा रही लेकिन फिर इसे मुहिम के तौर पर कवरेज शुरू हुआ । ऐसा कवरेज जरूरी भी था ताकि बच्चों का बचपन बचा रहे । लेकिन शर्मनाक तस्वीर तब सामने आई जब दो तथाकथित बड़े चैनलों की रिपोर्टर प्रद्युम्न के घर में कवरेज को लेकर आपस में भिड़ गई । दो चैनलों की बीच की दुश्मनी खुलेआम सामने आ गई । इन दोनों की लड़ाई ने प्रद्युम्न के पिता को काफी ठेस पहुंचाई । एक तो बच्चे की हत्या के बाद ये परिवार सदमे में है, दूसरे में पत्रकार अर्णव गोस्वामी का चैनल रिपब्लिक और टाइम्स नाउ की रिपोर्टर के झगड़े ने उन्हें आहत किया और पत्रकारिता को शर्मिंदा ।
दरअसल हुआ ये था कि, मृतक प्रद्युम्मन ठाकुर के पिता विशाल ठाकुर टाइम्स नाउ न्यूज चैनल पर स्कूल में बच्चों की सुरक्षा पर अपनी बात रख रहे थे । टाइम्स नाउ के पैनल को अपनी पीड़ा बता बता रहे थे । इसी दौरान ऑनएयर विशाल ठाकुर के बगल में खड़ी रिपब्लिक टीवी की रिपोर्टर (काले कपड़े में) ने ऐसा किया जिसकी उम्मीद नहीं की जा सकती है । रिपब्लिक टीवी की रिपोर्टर ने प्रद्युम्न के पिता विशाल ठाकुर के कॉलर में लगे माइक को खींचने लगी । टाइम्स नाउ पर प्रसारित प्रोग्राम को प्रभावित करने के लिए उसने ये शर्मनाक कदम उठाया । इतनी संवेदनाशून्य स्थिति कैसे आ गई ? ये टीवी पत्रकारिता का सबसे गिरा हुआ चरित्र है । यही नहीं दोनों महिला रिपोर्टर ने काफी देर तक एक तरह से धक्का मुक्की की । रिपब्लिक टीवी की रिपोर्टर बार-बार विशाल ठाकुर के कॉलर से माइक निकालने के लिए आगे बढ़ती थी और टाइम्स नाउ की रिपोर्टर उसको ऐसा करने से रोक रही थी । सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो https://www.youtube.com/watch?v=qAOYvCL657o में आप देखेंगे कि रिपब्लिक टीवी की रिपोर्ट विशाल ठाकुर के पिता के बगल में खड़ी है । फिर जब फोन आता है तो बात करते हुए माइक छीनने की कोशिश करने लगती है । ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई फोन पर आदेश दे रहा हो ।
ये सीन किसी फिल्म या सीरियल का नहीं था । ये पत्रकारिता में मौजूद लोगों की उस गिरे हुए चरित्र की तस्वीर है जिसे आम लोग नहीं देख पाते । लेकिन इस बार तो भंडाफोड़ हो गया । टीवी पर चमकते रिपोर्टर में से कुछ इतने बाहियात हैं जो हमारे पेशे में कलंक हैं । इन्हीं का उदाहरण देकर इस पेशे को बदनाम किया जाता है । ये वो गंदगी हैं जो सफेद कुर्ते को धब्बेदार बना देते हैं । न्यूज पोर्टल जनसत्ता की माने तो टाइम्स नाउ का सेड्यूल पहले से तय था और तय समय पर वो विशाल ठाकुर से बातचीत कर रहा था, लेकिन इस बीच ये घटना हो गई । जरा सोचिए, आप के घर में मातम हो और दो पत्रकार सिर्फ टीआरपी के लिए, आपके मातम को बेचने के लिए आपके घर आते हैं और आपस में झगड़ा करने लगते हैं, आप से भी बदसलूकी करते हैं तो कैसा लगेगा ? आप क्या सोचेंगे ? पत्रकारिता को लेकर आपके मन में क्या नजरिया बनेगा ?
पत्रकारित से जुड़े होने के नाते मेरा उन लोगों से सवाल है जो टीवी चैनलों की निगरानी करते हैं- क्या इस तरह की करतूत की निंदा आप लोगों को सार्वजनिक तौर से नहीं करना चाहिए ? क्या इन दोनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए ? या बस यूं ही टीआरपी के लिए सबकुछ चलता रहेगा चाहें पत्रकारिता की गरिमा की दांव पर क्यों ना हो ? नेताओं के चरित्र पर तो हम बहुत ही आसानी से सवाल कर देते हैं लेकिन पत्रकारित में मौजूद कोढ़ पर क्यों नहीं कुछ करते हैं ? ऐसे ही पत्रकारों की वजह से पत्रकारों की विश्वसनीयता कम होती जा रही है । आप लोग जरा सोचिए इस पर । बता दें कि 8 सितंबर को गुरुग्राम के रायन इंटरनेशनल स्कूल में 7 साल के प्रद्युम्न की हत्या हो गई थी जिसे लेकर पूरे देश में आक्रोश है ।
सत्येंद्र कुमार यादव, एक दशक से पत्रकारिता में सक्रिय । माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र । सोशल मीडिया पर सक्रिय । मोबाइल नंबर- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है।