पुष्यमित्र
बाढ़ की स्थिति लगातार बिगड़ ही रही है। 17 अगस्त शाम तक कि रिपोर्ट के मुताबिक लगभग एक करोड़ (98 लाख) की आबादी बाढ़ की जद में आ गयी। प्रभावित जिलों की संख्या 16 हो गयी। रात भी बहुत तेज बारिश हुई है। कहीं ऐसा न हो कि जिन इलाकों से पानी बाहर निकल रहा है, वहां बाढ़ की दूसरी खेप नेपाल और उत्तर बंगाल से पहुंच जाए।
बिहार बाढ़ अपडेट (18 अगस्त 2017)
हालांकि इस बीच आपदा प्रबंधन विभाग से मिले आंकड़े भरोसा जगाने वाले हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक राहत शिविरों की संख्या 500 से बढ़कर 1200 से अधिक हो गयी है और 1600 कम्युनिटी किचन संचालित हो रहे हैं। लगभग 4 लाख लोग बचा कर लाये गये हैं, जिनमें 3 लाख शिविरों में हैं। इसका मतलब काम में तेजी आई है।
वैसे प्रभावित इलाकों से अभी भी निराश करने वाली खबरें भी आ रही हैं। अभी सिद्धार्थ भाई ने बताया कि चम्पारण में बांध के भीतर बसे पीड़ितों को राहत देने से इनकार किया जा रहा है। पूर्णिया से सरकारी राहत अभियान में जुटे एक मित्र बता रहे हैं कि एयर ड्रॉपिंग के लिये एक ही हेलीकॉप्टर इस्तेमाल हो रहा है। एक मित्र ने फुलपरास से बताया कि अभी तक उनके इलाके में राहत नहीं पहुंची। काम बहुत बड़ा है, स्थानीय स्तर पर संसाधनों की कमी और संवेदनशीलता का अभाव राहत और बचाव अभियान में बाधक बन रहा है।
अच्छी बात यह है कि कटिहार-पूर्णिया से लेकर चम्पारण तक युवकों-युवतियों की टोली राहत अभियान में जुटी है। सीमित संसाधनों से ही लोगों की मदद कर रही है। उनके उत्साह को जिंदा रखना जरूरी है। 17 अगस्त की शाम इसी इरादे से हमलोग 15-20 की संख्या में एक जगह जुटे और बड़ी सार्थक बातचीत हुई। तय हुआ कि हमलोग राहत बांटने के बदल स्वयंसेवकों को आपदाग्रस्त क्षेत्र में भेजने, जो वहां हैं उन्हें मदद करने का काम करेंगे। सरकार के अभियान में सहयोग भी करेंगे और अभियान की निगरानी भी करेंगे। जल्द एक प्रतिनिधिमंडल आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव से इस संबंध में मिलेगा। बहुत जल्द एक फेसबुक पेज तैयार होगा, जिसमें इन तमाम प्रयासों को जोड़ा जाएगा। जगह-जगह छिटपुट चल रहे अभियानों को एक मंच पर लाया जाएगा। ताकि सामूहिक आवाज सरकार और प्रशासन को प्रभावित कर सके।
पटना में बाढ़ आपदा पर स्वयंसेवियों के एक गुट की बैठक में लिए गए फ़ैसले
1) गाँव स्तर पर कार्यकर्त्ता (वालंटियर) जोड़े जायेंगे
2) ये कार्यकर्ता गाँव स्तर पर सरकार एवं प्रशासन को राहत कार्यों में मदद करेंगे। लोकल जनप्रतिनिधि से मिलकर राहत सामग्री जुटाएंगे। बेघर और बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित ठिकाने या राहत शिविर तक पहुचाएंगे। राहत शिविर निर्माण कार्य में सरकारी राहत दल की मदद करेंगे।राहत वितरण की मॉनिटरिंग करेंगे, किसी भी तरह की गड़बड़ी देखने पर पटना टीम को तुरंत सूचित करेंगे। स्थानीय समूह/एनजीओ/स्टूडेंट यूनियन के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर राहत सामग्री/सुविधाओं को पीड़ित लोगों तक पहुचाएंगे। किसी पीड़ित के बीमार होने पर पटना टीम को सूचित करेंगे। किसी भी तरह की जरुरत पड़ने पर पटना टीम हरसंभव मदद को तैयार रहेगी।
3) पटना टीम सरकारी पदाधिकारीगण से मिलकर सुविधाओं को सही लाभार्थी तक पहुंचाने हेतु दबाब बनाएगी। सरकार से हमारे वालंटियर की मदद लेने का आग्रह करेगी। युवाओं से इस मुहीम, इस अभियान में जुड़ने के लिए आह्वान करेगी। बाढ़ राहत संबंधित सूचनाएं एकत्र कर कार्यकर्ताओं तक पहुंचायेगी। कार्यकर्ताओं के आवागमन एवं अन्य अनिवार्य खर्च हेतु राशि एकत्र करेगी।
आवश्यक दिशा निर्देश
1) सत्यम और शशि भाई फेसबुक पेज और whatsapp ग्रुप बनाकर अधिक से अधिक सक्रिय लोगों को इस मुहीम से जोड़ेंगे।
2) शशि भाई डॉक्टर लोगों से बात करके मेडिकल टीम गठित करेंगे साथ ही दवाई कम्पनियों से भी मदद हेतु बात करेंगे
3) पुष्यमित्र भाई डेलीगेशन बनाकर सरकारी पदाधिकारियों से मिलेंगे
४) अखिलेश भाई और पुष्यमित्र भाई कटिहार, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज में, बालमुकुन्द भाई MSU के संग दरभंगा, मधुबनी एवं समस्तीपुर में, अविनाश भाई चंपारण में कार्यकर्त्ता एकत्रित एवं संगठित करेंगे।
5) सभी लोगों से कोआर्डिनेशन की जिम्मेदारी अविनाश की होगी
6) राशि एकत्र करने की जिम्मेदारी पुष्यमित्र भाई संग पटना टीम के सभी लोग निभाएंगे।
अगली बैठक रविवार, 20 अगस्त को होगी, जिसमें 2 दिन के कार्यों की समीक्षा एवं आगे की रणनीति तय होगी।
आज 2008 की कुशहा त्रासदी की बरसी भी है। हम ऐसे वक्त में हैं कि हम 2008 को क्या याद करें। याद बस यही आता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि हम इस आपदा को अवसर की तरह इस्तेमाल करेंगे। कोसी का सर्वांगीण विकास करेंगे। राज्य को इस तरह की आपदाओं से मुक्त कर देंगे। मगर नौ साल बाद भी हम वहीं फंसे हैं। हां, इस बीच कोसी पुनर्निर्माण के लिये वर्ल्ड बैंक से मिला 1000 करोड़ का फंड खर्च हो गया। हर साल बाढ़ नियंत्रण और आपदा राहत के नाम भी हम एक हजार करोड़ खर्च कर रहे हैं। मगर हालात जस के तस हैं। हम हर साल अगस्त में यही सब करने को विवश हैं।
पुष्यमित्र। पिछले डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। गांवों में बदलाव और उनसे जुड़े मुद्दों पर आपकी पैनी नज़र रहती है। जवाहर नवोदय विद्यालय से स्कूली शिक्षा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से पत्रकारिता का अध्ययन। व्यावहारिक अनुभव कई पत्र-पत्रिकाओं के साथ जुड़ कर बटोरा। संप्रति- प्रभात खबर में वरिष्ठ संपादकीय सहयोगी। आप इनसे 09771927097 पर संपर्क कर सकते हैं।