देवांशु झा के फेसबुक वॉल से
औरंगजेब रोड पर संग्राम छिड़ा है। भला सड़क का नाम औरंगजेब से बदल कर एपीजी अब्दुल कलाम क्यों किया जा रहा है? इसमें मुसलमानों के कुछ चिर परिचित चेहरे शामिल हैं और कुछ हिन्दू तथाकथित प्रबुद्ध जिन्हें ‘पर’बुद्ध की उपाधि दी जा सकती है, यानी दूसरों की बुद्धि से चलने वाले भी पिले पड़े हैं । थान के थान दलीलें दी जा रही हैं कि औरंगजेब उतना बुरा नहीं था। सादा जीवन उच्च विचार टाइप का मामला था साब का। फलां कपड़े पहनता था, जूते सिलता था वगैरह- वगैरह।
इतिहास में इरफान हबीब से पहले औरंगजेब के बारे में भारतीय मूढ़ थे!! जिन्होंने उन जैसे महान शहंशाह को भोगा और जिन्होंने लेखन, श्रवण और पुरखों से चली आ रही परंपरा, जीवंत सभ्यता में जीते हुए औरंगजेब को जाना, वो सब महामूर्ख थे। चलो, हिन्दू तो अब वैसे भी धरती के सबसे सांप्रदायिक लोग हो चले हैं, मोदीजी के राज में भारतवासी भगवा क्रांति करेंगे। कम से कम महान गुरु गोबिंद सिंह और उनके पूर्वजों का अपमान तो देश में न हो । उन्होंने जिस औरंगजेबी क्रूरता और अत्याचार से लड़ते हुए अपने प्राण त्यागे, कम से कम उसी का सम्मान कर लें और इस मुक्ति को गुरु गोबिन्द सिंह के चरणों में समर्पित एक छोटी सी भेंट मान लें । या फिर इसे भी भगवा षड्यंत्र मान कर ख़ारिज कर दिया जाए ? हो सकता है औरंगजेब ने गुरु गोबिन्द सिंह और उनके पूर्वजों पर अत्याचार किया ही न हो ? क्या पता कोई इतिहासकार कल कोई नई किताब में इस रहस्य का भी उदघाटन कर ही डाले ।
गुलामी में जीते हुए गुलाम बनाने वालों को महिमा-मंडित करने वाला समाज सबसे मरा हुआ समाज होता है। भारत में भी कुछ ऐसे मरे हुओं की आत्मा जोंक की तरह रेंग रही है। एक नितांत ही क्रूर, धर्मांध और वहाबी समर्थक के नाम पर दौड़ रही ऐतिहासिक भूल को मिटा दिया तो क्या ग़लत किया? और उस रोड को भी किसी दूसरे महान मुसलमान के नाम समर्पित किया, वो क्यों नहीं देखते लोग! उसे प्रवीण तोगड़िया रोड तो नहीं कहते न भाई ? क्यों रो रहे हो यार, खुश हो जाओ, जाओ समोसा खाकर आओ!!
देवांशु झा। उन चुनिंदा पत्रकारों में शामिल हैं जो व्यावसायिक मजबूरियों में चाहे आधिकारिक तौर पर खुद को संयमित कर ले जाएं, लेकिन उनकी छटपटाहट दूसरे प्लेटफॉर्म पर अभिव्यक्ति का रास्ता ढूंढ ही लेती है। कुछ लोग विचारधारा के नाम पर उन्हें खारिज करने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन उनकी दलीलों को पूरी तरह नज़रअंदाज करना आसान नहीं होता। आप उनसे 9818442690 पर संपर्क कर सकते हैं।
कट्टर धर्मांध और छदम धर्मनिरपेक्ष (जो सत्ता के लिए किसी भी निम्न स्तर तक गिर सकते है) नेताओं / लोगों का आदर्श क्रूर और धर्मांध शासक ही होते है। कलाम जैसे लोगो में इनकी आस्था नही होती क्योंकि कलाम के नाम पर इन्हें वोट मिलने की उम्मीद नही दिखती। धर्म के नाम पर भड़काकर कुछ वोट तो मिल ही जायेंगे।
Pahal achchhi hai lekin Bapu me hatyare ka mandir banane ki bat karane Walton ki vichardhara me sath cha lane wali sarkar ki taraf ye achchhe kadam ko log San ki najar se to dekhenge hi….