ऋषि कांत सिंह
सुबह का वक़्त था। आज नोएडा एक्सप्रेसवे से होकर ऑफिस जा रहा था। अचानक दो गाड़ियों की टक्कर हो गयी और 2 लोग बुरी तरह घायल हो गए। मैंने मोबाइल फोन से 100 नंबर डायल किया। घटना की सूचना दी और तुरंत पीसीआर वैन भेजने की गुजारिश की ताकि घायलों को अस्पताल भेज जा सके। इसके बाद 108 नंबर डायल किया ताकि एम्बुलेंस मंगाई जा सके। बार-बार 108 डायल करने पर कॉल रिसीव तो हो रही थी, लेकिन किसी की आवाज़ नहीं आ रही थी। थोड़ी देर बाद लखनऊ के लैंडलाइन नंबर सा कॉल आई। बातचीत का ब्यौरा नीचे है –
कंट्रोल रूम – आपने 108 नंबर पर कॉल किया था। क्या समस्या है ?
जवाब – नोएडा एक्सप्रेसवे पर एक्सीडेंट हो गया है। तुरंत एम्बुलेंस भेजिए।
कंट्रोल रूम – किसका एक्सीडेंट हुआ है वो कौन है आपका ?
जवाब – मैं नहीं जानता जिसका एक्सीडेंट हुआ है वो कौन है। आप तुरंत एम्बुलेंस भेजिए।
कंट्रोल रूम – आपका नाम क्या है ?
जवाब – मेरा नाम ऋषि कान्त सिंह है। आप तुरंत एम्बुलेंस भेजिए।
कंट्रोल रूम – हादसा कहां हुआ है ?
जवाब – मैं आपको बता चुका हूँ। नोएडा एक्सप्रेसवे पर हादसा हुआ है। आप तुरंत एम्बुलेंस भेजिए।
कंट्रोल रूम – नोएडा कहां है ?
जवाब – आपको पता नहीं कि नोएडा कहां है। ये दिल्ली के पास है। आप कण्ट्रोल रूम में बैठे हैं। आपको इतना तो पता होना चाहिए की नोएडा कहां है। आप तुरंत एम्बुलेंस भेजिए।
कंट्रोल रूम – नोएडा में कहां हादसा हुआ है।
जवाब – नोएडा एक्सप्रेसवे पर। दलित प्रेरणा स्थल पार्क के सामने। आप तुरंत एम्बुलेंस भेजिए।
कंट्रोल रूम – ये इलाका किस जिले में पड़ता है ?
जवाब – मेरा दिमाग खराब मत करो। तुम बस एम्बुलेंस भेज दो।
कंट्रोल रूम – नोएडा गौतमबुद्ध नगर जिले में पड़ता है।
जवाब – जब तुम्हे पता है तो पूछ क्यों रहे हो। एम्बुलेंस भेजो जल्दी।
कंट्रोल रूम – आप इंतज़ार कीजिये। फोन पर बने रहिये। एम्बुलेंस के ड्राईवर के साथ आपको कनेक्ट करता हूँ।
(5 मिनट तक फोन होल्ड रहा। इस बीच एक और नंबर से फोन आने लगा। मुझे लग गया ये पीसीआर का नंबर होगा। मैंने उस नंबर वाले से बात करनी शुरू कर दी। पुलिस लोकेशन जानना चाहती थी। मैंने पुलिस को एक बार फिर हादसे की जगह बताई। थोड़ी देर बाद लखनऊ कंट्रोल रूम से एक बार फिर फोन आया।)
कंट्रोल रूम – एम्बुलेंस के ड्राईवर का फोन कांफ्ररेन्स में कर रहा हूँ। आप उससे बात कीजिये।
ड्राईवर – कहां हादसा हुआ है। कहां आना है ?
जवाब – नोएडा एक्सप्रेसवे। दलित प्रेरणा स्थल पार्क के सामने। आप कहां हो अभी ?
ड्राईवर – मैं ममूरा में हूँ।
जवाब – वहां से आने में तो आपको एक घंटे लग सकता है। दूसरी कोई एम्बुलेंस पास में नहीं है क्या ?
कंट्रोल रूम – नहीं। यही एम्बुलेंस है।
जवाब – पुलिस की पीसीआर दिख रही है। पुलिस अपनी गाड़ी में अस्पताल ले जायेगी। तुम अपनी एम्बुलेंस अपने घर ले जाओ। नहीं चाहिए।
मुद्दे की बात ये है कि नोएडा एक्सप्रेसवे पर या उसके आस-पास पीसीआर वैन हमेशा खड़ी रहती है। जब एक बड़े शहर में पीसीआर वैन को पहुँचने में 25 मिनट लग गया। एम्बुलेंस एक दर्जन सवाल पूछने के बाद भी एक घंटे बाद आती है। फिर मुख्यमंत्री रोज हर रैली में क्यों दावे करते हैं कि 100 और 108 नंबर पर फ़ोन करने पर गांवों में भी 10 से 15 मिनट में पुलिस और एम्बुलेंस पहुँच जाती है। जबकि शहर में भी ऐसा मुमकिन नहीं है। सरकार किसी की भी हो। कोई मुख्यमंत्री बने, झूठ सब बोलते हैं।
ऋषि कांत सिंह। महाराजगंज से हाई स्कूल तक की पढ़ाई। उच्च शिक्षा लखनऊ से हासिल की। डेढ़ दशक से पत्रकारिता में सक्रिय। ईटीवी के बाद दूसरी लंबी पारी इंडिया टीवी में जारी है।
यह सच्चाई है उन योजनाओं की/जिसकी उपलब्धियां मुख्यमंत्री मुस्काते हुए गिनाते हैं। रूह कांप जाती है जब लोग हकीकत बताते हैं।
राजसत्ता के चरित्र की ऐसी घिनौनी तस्वीर !
आक्थू !