आशीष सागर दीक्षित (फेसबुक वॉल से)
” तुम बतलाते रहे अपने काम के नजराने इस कदर अखिलेश, कि एक हम मैदान में जार-जार रो रहे थे… ”
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 18 फरवरी के दिन चित्रकूट मंडल के जिला बाँदा के बबेरू और चित्रकूट के खोह (पुलिस लाइन मैदान ) में उपस्थित थे। वहीं, मायावती बाँदा के अतर्रा और झाँसी में मौजूद थीं। सीएम को मैंने एक दर्शक के रूप में सुना। उन्होंने अपना चिर-परिचित रटा हुआ हर जगह बोलने वाला भाषण दिया। आरोप की बाढ़ में अखिलेश ने बीजेपी के नोटबंदी,अच्छे दिन और बसपा के पत्थर वाले हाथी पर कटाक्ष किये।
जहाँ रैली के मामले में जनता मायावती को सुनने अधिक आई थी वही झाँसी में राजनाथ सिंह भी फ्लाप रहे। सीएम के काम गिनाने वाली लिस्ट में लैपटाप, सूखा राहत, विकास कार्य थे लेकिन वे यह नहीं बतला पाए कि ये विकास यूपी के कितने जिलों से होकर गुजरा ? सैफई, इटावा, कन्नौज और लखनऊ में किये गए काम को पूरे उत्तर प्रदेश पर थोपना कितना सार्थक है तब जब आप बुन्देलखण्ड के चित्रकूट धर्मार्थ/सूखा प्रभावित क्षेत्र में बोल रहे हो, ये सीएम बेहतर समझ सकते हैं।
अब आज के नेताओं के चुनावी भाषण में जनता को जवाबी प्रश्न करने की जगह तो होती नहीं है, न ही उनकी तरफ एक माईक छोड़ा गया होता है कि वे पूछ सकें आखिर आरोप की राजनीति में आप अन्य से किस मामले में अच्छे हैं ? बात करते हैं बुन्देलखण्ड की तो सीएम साहेब आपने राम की नगरी में झूठ बोला कि आपने यूपी में पर्यटन के लिए काम किया ! एक पर्यटन की वेब साईट बना देने से टूरिज्म नहीं आएगा। बुन्देलखण्ड को ही लीजिये चित्रकूट अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात है यहाँ आज तक क्लास वन रेलवे स्टेशन या परिवहन सुविधा नहीं है।
मंदाकनी नदी का हाल चित्रकूट निवासी आपको बतला देंगे जो गंदगी की मृत धारा में तब्दील है। उधर, इस जिले की मानिकपुर सीट में स्थित रानीपुर वन्य जीव अभ्यारण का हाल देख लीजिये जाकर एक बार, जहाँ आज उजड़े बीहड़ के सिवा कुछ नही है। जंगल कटान से पीड़ित ये वन सेंचुरी पर्यटन का हब बन सकती थी। उधर विकास, राशन व्यवस्था से महरूम, खुले में शौच को जाती बेटियां-महिला आपको खोज रही हैं। अभी फ़कीर पीएम की बात नहीं किये हैं।
जिला बाँदा का शजर कारखाना, कालिंजर टूरिज्म की दयनीय दशा, कताई मिल और थाना फतेहगंज स्थित गोबरी, जरैला कुरंहू स्थित प्राथमिक स्कूल डकैतों के चलते वर्ष के अधिकांश दिन तालाबंदी में रहते हैं। महोबा का पान उद्योग, खनन, खन्ना का पानी संकट, रोजगार का अवसान काल, हमीरपुर की मौदहा के गुसियारी में विकराल जल त्रासदी खार से नमकीले गाँव, झाँसी में भेल के सिवा किसी इंडस्ट्री का न होना और जिला ललितपुर के सर्वाधिक बांध में पानी का संकट, घटे वन आपकी इस विकास गाथा की पोल खोलते हैं। अकेले आपने नहीं, जितने भी पहले आये सबने बुन्देलखण्ड को मात्र खनन के नाम पर लूटने-नोचने का कार्य किया है। हमारे राजस्व से यूपी का पेट पलता है बावजूद इसके हम, हमारे किसान बदहाल हैं। आज आप काश इस दर्द के सापेक्ष अपने विकास के आकड़े बुन्देलखण्ड में परोसते तो मान लेते यूपी को ये साथ पसंद है !
बाँदा से आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष सागर की रिपोर्ट। फेसबुक पर ‘एकला चलो रे‘ के नारे के साथ आशीष अपने तरह की यायावरी रिपोर्टिंग कर रहे हैं। चित्रकूट ग्रामोदय यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। आप आशीष से [email protected] पर संवाद कर सकते हैं।