बी डी असनोड़ा
सीएम हरीश रावत के पड़ोस और नेता प्रतिपक्ष की विधानसभा सीट में है एक गांव फयाटनोला। आज जब चांद और तारे छूने की बात हो रही है। ईश्वरीय कण ( गॉड पार्टिकल ) ढूंढने को प्रयोग हो रहे हैं। सूचना क्रांति ने दुनिया को ग्लोबल विलेज बना दिया है। तब भी कुछ ऐसे इलाके हैं जहां विकास का पहला कदम यानि सड़क तक नहीं पहुंच सकी है। ऐसा ही उत्तराखंड का एक गांव है फयाटनोला। इस गांव के लोगों को आज भी सड़क का इंतजार है।
आजादी के बाद से फयाटनोला उपेक्षित गांव रहा है। करीब 50 साल बाद यहां बिजली पहुंच सकी थी। सिर पर पानी ढोते-ढोते कई पीढ़ियां बूढ़ी हो गयीं। सड़क अभी तक नहीं बन सकी है। 60 के दशक से ही सड़क की मांग होती रही। स्वतंत्रता सेनानी मोती सिंह के नेतृत्व में कई बार आंदोलन हुये। ऐसा नहीं है कि आश्वासन नहीं मिले, आश्वासन खूब मिले, लेकिन सड़क नहीं बनी। धीरे-धीरे गांव से पलायन शुरू हुआ, आज स्थिति ये है कि 35 परिवारों वाले गांव में सिर्फ 9 परिवार ही गांव में रह रहे हैं। इनमें भी सिर्फ बुजुर्ग और बच्चे ही हैं, सड़क नहीं होने से स्वरोजगार के साधन भी नहीं हैं।
कभी साल में एक बार समारोह में लोग गांव में जुट पाते हैं। लेकिन सड़क नहीं होने से 4 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान खुद ढोकर ले जाना पड़ता है। मैदानों में पल-पढ़ रही पीढ़ी के लिये ये काम बेहद मुश्किल हो जाता है। 4 किलोमीटर नीचे गगास नदी से पानी लाना पड़ता है। इसके लिये खच्चरों को हायर करना पड़ता है। नदी का अशुद्ध पानी पीने से हर बार समारोह में गये लोग बीमार होते हैं। जो बच्चे एक-दो बार गांव जा चुके होते हैं, वो दोबारा जाने को तैयार नहीं होते।
दिलचस्प बात ये है कि उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट के विधान सभा क्षेत्र में फयाटनोला गांव आता है। अजय भट्ट हर बार सिर्फ आश्वासन देकर लोगों को बहला देते हैं, मुख्यमंत्री हरीश रावत के गांव से फयाटनोला कुछ किलोमीटर ही दूर है। इसके बावजूद फयाटनोला तक सड़क नहीं पहुंच सकी है।