पप्पी आपका तो***### किसका ?

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फ़ाइल फोटो
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मनीष कपूर

स्वच्छता अभियान को शरु हुए दो बरस बीत गए।  साल 2014 में गांधी जयंती पर पीएम मोदी ने बड़े जोश-खरोश के साथ मिशन क्लिन की शुरुआत की ।  शुरुआती दिनों में नेता हो या अभिनेता हर कोई हाथ में झाड़ू उठाए गली-मोहल्लों और सड़कों पर नज़र आ जाता, लेकिन वक्त बीतने के साथ स्वच्छा मिशन अभियान  2 अक्टूबर तक आकर सिमट गया।  हालांकि दो सालों में ये अभियान कहां पहुंचा इस पर बहस अभी बेमानी है, लेकिन अभियान के उद्देश्यों पर चर्चा जरूरी है, क्योंकि जब तक किसी विषय पर मंथन नहीं होगा तब तक उसमें सुधार नहीं लाया जा सकता । हो सकता है सरकार की नीतियों में कुछ खामियां हो फिर भी हमें ये सोचना होगा कि क्या सिर्फ सरकार के भरोसे कोई बड़ा अभियान सफल हो सकता है । इतिहास गवाह है, समाजिक सरोकार से जुड़ा कोई भी काम बिना जन भागीदारी के परवान नहीं चढ़ा है । इसी को लेकर वरिष्ठ पत्रकार मनीष कपूर की फेसबुक पर की गई टिप्पणी आपके साथ साझा कर रहे हैं ।

किसी भी अभियान की कामयाबी के लिए हमारा और आपका सहयोग भी जरुरी होता है। आप गंदगी फैलाएं और सरकार साफ करे ऐसा नहीं हो सकता। इस रैवेये से कभी भी कोई अच्छी शुरुआत मुकाम तक नहीं पहुंच पाई है और ना ही पहुंच पाएगी। जराी सोचिए गंदगी हम फैलाते हैं और उसे साफ करने के लिए पैसा भी हमारा ही खर्च हो रहा है, चाहे वो सरकारी खजाने से भले ही खर्च हो लेकिन नुकसान तो हमारी ही है । अगर हम इस अभियान के लिए थोड़ा भी योगदान करें तो इस अभियान को अंजाम तक पहुंचने में कोई नहीं रोक सकता ।

dogखैर आपकी बात तो मैं नहीं जानता लेकिन आज से इस अभियान में मैं अपनी तरफ से एक नया आय़ाम जोड़ रहा हूं।आपने कई बार देखा होगा कि लोग घरों में कुत्ता तो पाल लेते हैं लेकिन उन्हें किसी खुली जगह में रिहायश से दूर पॉटी, सुसु कराने की जहमत नहीं उठाते। वो घर से बाहर निकलते हैं और जहां जगह दिखी करा दिया। कभी सोसायटी के किसी कोने में, कभी अपनी बिल्डिंग के बाहर तो कभी किसी दूसरी बिल्डिंग या दूसरे के घर के बाहर। ऐसे लोग ये भूल जाते हैं कि कुत्ते और बिल्लियों का मल-मूत्र कई तरह की बीमारियों की जड़ हो सकता है। ये वैज्ञानिक तथ्य है कि कुत्ते, बिल्लियों का मल-मूत्र ऐसे कीटाणुओं को जन्म देता है जो बच्चों में कई तरह की बीमारियों की वजह बनता है। (15 सितंबर का TOI देख सकते हैं-दिल्ली एडिशन) पशुप्रेमी होना अच्छी बात है लेकिन इस बात का ख्याल रखिए कि आपके पशुप्रेम से दूसरों को कोई परेशानी ना हो। उम्मीद है आप मेरे इस अभियान में सहयोग करेंगे। आपको जहां भी ऐसे लोग दिखाई दें उन्हें समझाइए। उन्हें मना कीजिए। मुमकिन है आपको कई मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा, आपको लोग ये भी कह सकते हैं कि ‘क्या तू कोई कोतवाल है? ‘ लेकिन अगर आपको मेरी बातें ठीक लगी हों तो आप डटे रहिए और आपको कोतवाल बोलने वालों के खिलाफ अभियान चलाते रहिए। YES TO DOGS, NO TO ITS FAECES।


manish kapoor

 

मनीष कपूर। नेतरहाट, बिहार के पूर्व छात्र। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची और दिल्ली विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की। स्टार न्यूज (आज का एबीपी), न्यूज 24 के बाद इन दिनों आजतक में कार्यरत। एक दशक से भी ज्यादा वक्त से पत्रकारिता में सक्रिय।