निशांत जैन
‘स्वच्छ भारत का इरादा कर लिया हमने,
देश से अपने, ये वादा कर लिया हमने।”
अक्टूबर 2014 को भारत में एक नयी क्रान्ति का बिगुल फूंका गया था। यह क्रान्ति थी ‘स्वच्छ भारत’ की, जिसके महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की एक समयसीमा भी तय की गयी- 2 अक्टूबर 2019 । स्वच्छ भारत के वृहद दायरे के भीतर शामिल प्रमुख घटकों में से एक है- ‘खुले में शौच मुक्त भारत’ का लक्ष्य। गांधी जी ने कहा था कि ‘स्वच्छता राजनीतिक स्वतंत्रता से अधिक ज़रूरी है’। गांधी जी के इसी सपने को साकार करने
की ओर तेज़ी से यह देश बढ़ रहा है।
लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में IAS प्रशिक्षणार्थी अधिकारी स्वच्छ भारत अभियान की मुहिम में अपना योगदान देने उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के सुदूर गाँवों में पहुंचे। स्वच्छ भारत मिशन और ODF (खुले में शौच मुक्त) गाँवों के लक्ष्य की प्राप्ति की विविध तकनीकों को समझने के बाद हम विभिन्न समूहों में अलग-अलग गाँवों के लिए रवाना हुए।
हमारा पड़ाव था आबली गाँव। यूँ तो भारत में आज़ादी के बाद से कई बार सरकारी और गैर-सरकारी तौर पर अलग-अलग नामों से स्वच्छता को लेकर अभियान चले। सबकी कोशिश थी कि देश ‘खुले में शौच मुक्त’ बने, पर सामुदायिक सहभागिता की कमी के चलते ये अभियान जनांदोलन का रूप नहीं ले सके। शौचालयों का निर्माण तो हुआ, पर उन्हें इस्तेमाल करने की आदत विकसित नहीं हो सकी। लोग शौचालय बनवाने के लिए सरकारी मदद की राह तकते और खुले में शौच जाने की आदत जारी रखते। सरकार ने इस बात की गंभीरता को समझते हुए कुछ बुनियादी बदलाव किये और समुदाय के व्यवहार और आदतों को बदलने के लिए CLTS (समुदाय संचालित सम्पूर्ण स्वच्छता) को अपनाने का निर्णय लिया।
गांव में पहले ही प्री-ट्रिगरिंग की जा चुकी थी, यानी उनसे मुलाकात का समय लिया जा चुका था। बगैर यह बताये कि कौन लोग गाँव आ रहे हैं। हमने पहुंचकर ग्रामीण बुज़ुर्गों और महिलाओं से कहा कि हम आपसे कुछ सीखने आये हैं और इस तरह हमने स्वच्छ भारत की मुहिम के अंतर्गत खुले में शौच की आदत को जड़ से मिटाने और ग्रामीणों को झकझोरने की प्रक्रिया शुरू की।
सबसे पहले गाँव के लोगों से ही गांव का नक्शा जमीन पर बनवाया। फिर खुले में शौच के स्थानों पर पीली मिट्टी डालकर उन्हें यह अहसास कराया कि आपका सुन्दर गांव खुले में शौच की आदत के कारण गन्दा… और गन्दा होता जा रहा है। यहाँ तक कि उन्हें विचलित करने के लिए ‘प्रतिदिन, प्रतिमाह और प्रतिवर्ष इकठ्ठा होने वाले मल की केलकुलेशन’ तक करवाई। साथ ही यह भी, कि कैसे मक्खियों के माध्यम से खुले में पड़ा मल हमारी रसोइयों तक पहुंचकर हमें बीमार कर रहा है।
धीरे-धीरे ग्रामीणों के चेहरे गंभीर होते जा रहे थे और खुले में शौच के खिलाफ संकल्पित नज़र आने लगे थे। सबने एक स्वर में स्वीकारा कि यह आदत बदलनी होगी और अपने गांव की जल्द से जल्द खुले में शौच मुक्त बनाना होगा। इस पूरी प्रक्रिया में बुज़ुर्गों के साथ-साथ युवाओं और महिलाओं की भरपूर भागीदारी रही। लोगों में एक नया उत्साह सा जगा और उन्होंने गाँव को ODF बनाने की शपथ ली। अपने मन में एक अजब सा संतुष्टि का भाव लेकर हम अकादमी लौट आए।
निशांत जैन । साल 2015 के नतीजों में यूपीएससी की परीक्षा में हिंदी मीडियम के छात्रों में पहले पायदान पर रहे। नये नवेले IAS अफ़सरों के साथ देश में बदलाव के गुर सीख रहे हैं। ज़ज्बा देश बदलने का और मन कवि बना हुआ है ।
मन कवि और दिल पत्रकार… 2015 के यूपीएससी इम्तिहान में हिंदी मीडियम के टॉपर निशांत जैन से पूरी बातचीत पढ़ने के लिए क्लिक करें।