अरुण यादव
बदलाव की बयार कब और कहां से निकलेगी ये कोई नहीं जानता । क्या आप सोच सकते हैं कि एमबीए पास छात्र , देश की राजधानी में अच्छी खासी नौकरी छोड़ कोई खेती करने का मन बना सकता है और वो भी तब जब देश में सूखे से परेशान किसानों की खुदकुशी की खबरें आती रही हों । लेकिन कोई ऐसा है जो बदलाव की नई इबारत लिख रहा है साथ ही पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं को प्रेरित भी कर रहा है । हम बात कर रहे हैं यूपी के मैनपुरी के रहवे वाले 27 साल के युवा किसान रवि पाल की । बमुश्किल साल भर पहले एमबीए पास रवि पाल नोएडा में मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया करते थे, अच्छी नौकरी थी, अच्छी खासी कमाई भी। एसी ऑफिस, एसी गाड़ी यानी तमाम वो सुविधाएं जो आधुनिकता के पीछे भागने वालों को चाहिए, लेकिन किसान परिवार में जन्मे रवि का मन तो जैसे अपनी माटी में रचा बसा हो । कुछ वक्त की नौकरी के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और एक उम्मीद लेकर चल पड़े गांव की पगड़ंडियों पर ।
मैनपुरी के पदमपुर गांव के रहने वाले रवि ने गांव में पारंपरिक खेती को छोड़ फूलों की खेती का मन बनाया । खेतों में खूब पसीना बहाया ।शुरुआती दिनों में आसपास के लोग रवि को देख खूब टीका-टिप्पणी करते, मजाक उड़ाते लेकिन इन सबसे बेखबर रवि अपने काम में तल्लिन रहे । कुछ महीने की कड़ी मशक्कत के बाद जब खेतों में रंग-बिरंगे फूल दिखे तो लोग हैरान रह गए, लेकिन रवि को सुखद एहसास हुआ । रवि बताते हैं कि जो लोग पहले मेरे फैसले पर हंसते थे आज वही सब मेरे काम की सराहना करते नहीं थकते । ये रवि की मेहनत का नतीजा ही है कि एक साल के भीतर उनके खेतों में उगे फूलों की महक आगरा और दिल्ली तक पहुंचने लगी है । देश की राजधाननी की मंडियों तक इन फूलों की डिमांड हो रही है ।
रवि के खेतों में पैदा हुए फूल दिल्ली की मंडियों की डिमांड पूरी कर रहे हैं तो वहीं उसकी महक से राजधानी लखनऊ भी अछूता नहीं । सरकारी महकमें के कानों तक रवि की खेती की चर्चा पहुंची तो अधिकारी खुद को खेतों तक आने से रोक ना सके । खेती में नये प्रयोग और किसानों के लिए बदलाव की पहल को लेकर रवि को सम्मानित भी किया ।
बीज डालने के 25 दिन के भीतर पौधे तैयार हो जाते हैं और 50 दिन के भीतर उनमें फूल आने लगता है । दो से तीन महीन तक फूल आते रहते हैं । कुल चार से पांच महीने की खेती होती है । थाईलैंड के कुछ बीज ऐसे हैं जिससे आप सालभर तक फूल पैदा कर सकते हैं और उससे बाजार में भारी मुनाफा कमा सकते है ।
रवि ने फूलों की खेती को ही क्यों चुना इसकी भी एक वजह है । मैनपुरी और आसपास के इलाकों में नीलगाह का आतंक रहता है किसान कोई फसल डाले नीलगाह उजाड़ जाते । रवि ने गांव में रहते हुए किसानों के दर्द को बखूबी महसूस किया था । लिहाजा खेती का फैसला करने से पहले उन्होंने खूब रिसर्ज किया और पाया कि नीलगाह गेंदे की महक बर्दाश्त नहीं कर पाते लिहाजा वो उससे दूर रहते है । फिर क्या था रवि को रास्ता मिल गया और मंजिल उन्होंने खुद तय कर ली ।
रवि बताते हैं कि थोड़ी सी मेहनत कर ये काम कोई भी किसान कर सकता है । खास बात ये कि इसमें ज्यादा वक्त भी नहीं लगता । बीज बोने से लेकर बाजार में जाने लायक फूल तैयार होने में कुल 2-3 महीने लगते हैं । उसके बाद अगले 2 महीने तक आराम से बाजार की डिमांड पूरी कर सकते हैं और अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं ।
संयुक्त परिवार में रहने वाले रवि के लिए ये फूल कमाई का बड़ा जरिया बन गए । रवि की दादी ने जब अपने पोते की मेहनत की पहली फसल देखी तो उन्हें जो खुशी मिली उसे शब्दों में बयां कर पाना मुमकिन नहीं । रवि के रिश्ते में भाई लगने वाले योगेश कहते है कि ‘हम और आप शायद रवि जितनी हिम्मत नहीं रखते कि अपना एसी रूम और ऑफिस छोड़ खेतों में जाएं और किसानों का हौसला बढ़ाएं । मुझे गर्व है कि रवि मेरा भाई है ।’
आज एक दो नहीं पूरे 10 गांव के युवा रवि के दिखाए रास्ते पर चल पड़े हैं लिहाजा रवि की जिम्मेदारी और बढ़ गई है । यही वजह है कि रवि बाजार की डिमांड को पूरा करने के साथ क्वालिटी पर भी ध्यान दे रहे हैं । फूलों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए रवि आज थाईलैंड से बीच मंगाने में भी कोई संकोच नहीं करते । खास बात ये है कि रवि ने ये सब कुछ घर बैठे और इंटरनेट के जरिए मुमकिन किया । इंटरनेट पर अगर समाधान नहीं मिलता तो दिल्ली या फिर फूलों की खेती के जानकारों से मिलते हैं चाहे इसके लिए उन्हें कितना ही सफर क्यों ना करना पड़े । पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित हुए कृषि मेले में भी रवि की मौजूदगी ये बताने के लिए काफी थी कि उनको अपनी मिट्टी और उसमें उगने वाले फूलों से कितनी मुहब्बत है ।
रवि के साथ कृषि मेले में एक दिलचस्प घटना घटी । एक स्टॉल के ऊपरी हिस्से को फूलों से सजाया गया था, फूल काफी आकर्षक थे, लिहाजा रवि से रहा नहीं गया और उन्होंने उछलकर फूलों को टचकर देखना चाहा, इस बीच एक फूल नीचे आ टपका तभी आयोजक आकर खरी-खोटी सुनाने लगा, लेकिन रवि ने बड़ी शालीनता से कहा कि भीई साहब अभी लगा देता हूं । हालांकि आयोजक को ये नहीं पता था कि इस फूल रवि के जीवन में कितनी अहमियत रखते हैं ।
रवि पढ़े लिखे और पेशेवर शिक्षा लेने वाले युवाओं के लिए एक मिसाल हैं । रवि के इस फैसले ने उनके गांव का नाम तो रौशन किया ही साथ ही जिले को नई पहचान दिला दी । आप भी अगर रवि की तरह फूलों की खेती करना चाहते हैं और रवि से कुछ सलाह की जरूरत समझते हैं तो आप बदलाव की वेबसाइट पर अपना नाम और नंबर [email protected] भेज सकते हैं जिसके बाद रवि और टीम बदलाव खुद आप से संपर्क करेगी । ताकि मैनपुरी से शुरू हुई बदलाव की महक देश के दूसरे हिस्सों तक पहुंच सके ।
अरुण यादव। उत्तरप्रदेश के जौनपुर के निवासी। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र। एक दशक से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सक्रिय।
मुझे बहुत ख़ुशी है कि आज आतंकवाद, प्रदूषण, धार्मिक उन्माद, सामाजिक अंतर्द्वंद्व और महंगाई जैसी समस्याओं के साथ साथ किसानों के कार्य को प्रोत्साहित किया जा रहा है .
मै आप के इस नेक कार्य से बहुत प्राभावित और बहुत खुश हु। जो आप अपनी कलम के माध्यम से मुझे प्रेरित करने के साथ साथ और किसानों को एक माध्यम देने की कोशिश कर रहे हो। बुहत बुहत आभार अरुण यादव जी।
Sir ji Mera Nam Sant Kumar Baghel h Amamai karhal mainpuri Ka rhne vala hu
सर रवि पाल जी,
मेरा नाम राजा कुशवाह है, मैं आगरा के एक गांव ककुआ का मूल एवम् वर्तमान निवासी हूँ। हम अपने खेत में कई सालों से गेंदे की खेती करते आ रहे हैं, मगर पैदावार कम होती है। आज दिनांक 5 मई 2018 के दैनिक जागरण मैं आपके बारे में जब मेरे पिताजी ने पढ़ा तो उन्होंने आपसे संपर्क करने की इच्छा व्यक्त की, जिससे कि आपसे मार्गदर्शन लेकर गेंदे की खेती को हम अच्छी पैदावार के साथ कर सकें।
कृपया कर कुछ समय निकाल कर हमारा मार्गदर्शन करें।
मेरा मोबाइल नंबर है-8439083702
मेरा ईमेल है- [email protected]
टीम बदलाव से मेरा विनम्र निवेदन है कि मेरा सन्देश रवि पाल सर तक जल्द से जल्द पहुचाने का कष्ट करें।
आपका अति आभार।
रवि पाल भाई आप बहुत ही अच्छा कार्य कर रहे हो और काफी लोगो के लिए एक सुनेहरा कल तैयार कर रहे हो।
मैं भी गेंदा की बाग़बानी करना चाहता हूँ और इसी विशय में आपसे संपर्क कर के राय लेना चाहता हूँ।
कृप्या कर के मुझसे संपर्क करो।
आपको और बदलाव टीम को भी शुभकामनाएं।
आप मुझे 08527052181 नंबर पे संपर्क करें।
धन्यवाद।।
Village.papri khurd buzurg post barjhala teh. Kaimganj disst. Farrukhabad
आरुढ़ यादव जी और रवि पाल जी में आपके इस प्रेरणा दायक कदम से बहुत प्रेरित हु और में ही नई मेरे साथ बहुत से युवा आपसे प्रेरित हैं हम सभी आपसे कुछ सीखना चाहते हैं आपसे मिलना चाहते हैं रवि पाल जी हम आपको आपके इस काम के और आगे बढ़ने के लिए दुआ करते हैं मेरा कांटेक्ट नंबर 7355987160 7417156510 आप मुझे इस न पे फ़ोन करें में आपके फ़ोन की पिर्टीछा करूँगा
प्रिय रवि पाल मैं बैंक से सेवा निवृत प्रबन्धक हूँ ।
आजकल फूलों की खेती कर रहा हूँ । पिछले साल
से ग्लैडिओलस लगा रहा हूँ । आप के गेंदे की खेती
सम्बन्धी ज्ञान का लाभ उठाना चाहता हूँ । कृपया
इस विषय में मार्गदर्शन कर कृतार्थ करें ।
मेरा पता:
सत्येन्द्र मोहन
सुपुत्र स्वर्गीय बेली राम हकीम
निकट राजा बेकरी
कालामँज कालोनी
मुकेरियाँ -144211
पंजाब ।
चलभाष क्रमाँक : 7973115192