अनिल कुमार
उत्तर प्रदेश के जौनपुर से ‘बदलाव की चौपाल’ का जो सफर शुरू हुआ वो दिल्ली होते हुए नेपाल की सीमा तक पहुंच चुका है । आप सभी के सहयोग से टीम बदलाव गांव से संवाद की हर मुमकिन कोशिश कर रही है । इस दौरान टीम बदलाव को कुछ दुष्वारियां जरूर झेलनी पड़ रही है लेकिन यकीन मानिए इन सबके बावजूद ‘बदलाव’ के लक्ष्य की ओर हम एक-एक कदम मजबूती से बढ़ा रहे हैं । इसी कड़ी में देवरिया के निपनिया ठेंगवल दुबे गांव में मंगलवार को बदलाव की तीसरी चौपाल लगी तो हर कोई खुलकर अपनी बाते रखने लगा ।
बदलाव की चौपाल पार्ट-3
बदलाव की चौपाल में शामिल पूर्व प्रधान राम प्रकाश ने कहा कि “सरकारी योजनाओं के बारे में गांववालों को ठीक से बताया नहीं जाता । उदाहरण के रूप में फसल बीमा को लीजिए, योजना की खूब चर्चा हो रही है लेकिन ये कोई बताने वाला नहीं है कि किसान बीमा कैसे कराएं, किसके पास जाएं, उनकी फसल की लागत कैसे तय होगी, जानकारी के अभाव में बिचौलियों की चांदी हो जाती है, ऐसे में किसान को फायदा नहीं हो पाता ”
गांव वालों ने ये भी बताया कि कैसे कौशल विकास योजना अपने शुरुआती दौर में ही दम तोड़ती नजर आ रही है । बैंक सहयोग नहीं कर रहे, प्रशिक्षण लेकर युवा प्रशिक्षत बेरोजगार बनकर टहल रहा है, कुछ लोग तो मजाक भी उड़ाने लगे हैं, एक आंकड़े के मुताबिक गांव के आस-पास के इलाके में करीब 200 युवाओं ने कौशल विकास केंद में प्रशिक्षण लिया लेकिन उनमें से महज 14 लोगों को ही चयनित किया गया, यही नहीं जिनको बैंक ने चयनित किया वो भी सिर्फ बैंकों के चक्कर काट रहे हैं । अभी तक कोई कामकाज शुरू नहीं कर सके ।
गाम्र प्रधान रह चुके प्रेमचंद के मुताबिक “गांव में विकास के लिए हमलोग काम तो करना चाहते हैं लेकिन अधिकारी करने नहीं देते, नियम-कानूनों में इतना उलझा देते हैं कि ग्राम प्रधान चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते । मेरे कार्यकाल के दौरान 271 आवास गांव के लिए पास हुआ लेकिन पूरे पांच साल में पैसा पास हुआ महज 37 आवास का, ऐसे में हम क्या करें, किसके पास जाएं, साहब सुनते नहीं ।”
बदलाव की चौपाल में शामिल टीचर बेनी माधव ने सरकारी स्कूलों में गिरते शिक्षा के स्तर पर खुलकर अपनी बात रखी । माधव का कहना है कि ‘’लोग टीचरों पर कामचोरी का आरोप लगाते हैं, प्राइवेट स्कूलों से तुलना करते हैं, लेकिन क्या किसी ने कभी हमारी मजबूरी समझी, प्राइवेट स्कूलों के टीचर सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देते हैं लेकिन सरकारी स्कूलों के शिक्षकों पर पढ़ाई के अलावा बाकी सारे कामकाज का जिम्मा सौंपा जाता है । कभी जनगणना तो कभी जाति गणना इन सबसे फुरसत मिले तो चुनाव में ड्यूटी करिए । इसके अलावा भी तमाम सरकारी काम होते हैं जो शिक्षकों को ही करने होते हैं यहां प्रबंधन जैसी कोई चीज होती नहीं ।‘’
देवरिया के सुराती देवी इंटर कॉलेज में बदलाव की चौपाल में आए हर किसी ने एक दूसरे से अपनी समस्याएं साझा कीं । बदलाव के संवाद के इस तरीके को हर किसी ने सराहा । कुछ लोगों ने तो चौपाल का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव भी दिया । बदलाव की चौपाल के आयोजन का जिम्मा खुद कॉलेज प्रबंधन ने उठाया । अवधेश और अशोक यादव की देखरेख में पूरा कार्यक्रम सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ । दिल्ली से गए पत्रकार और बदलाव के अहम साथी सतेंद्र यादव चौपाल में मौजूद रहे और उन्होंने गांववालों को आपसी संवाद को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया ।
अनिल कुमार / मुंबई में सोनी टीवी के हिट शो सीआईडी में बतौर पोडक्शन एसिस्टेट रह चुके हैं । इन दिनों रोजी-रोटी के लिए दिल्ली मे गारमेंट सेक्टर में क्वालिटी चेकअप का काम करते हैं, लेकिन आपके दिल में आज भी गांव बसा हुआ है, गांव जाने का कोई मौका नहीं चूकते ।