इस बदलाव को नज़र ना लगे!

बिहार पंचायत चुनाव: नामांकन के लिए कतार में खड़ी महिलाएं
बिहार पंचायत चुनाव: नामांकन के लिए कतार में खड़ी महिलाएं

सत्येंद्र कुमार यादव

बिहार में एक बार फिर सियासत गरम है । हर गली-मोहल्ले में नुक्कड़ पर सियास की बातें हो रही है । फर्क सिर्फ इतना है कि यहां नीतीश और मोदी दूर-ूदर तक कहीं नहीं हैं और ना ही कोई बेतुकी बयानबाजी, चर्चा है तो बस पंचायत चुनाव की । जिसमें खासकर महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं । ना किसी का सहारा है और ना किसी की रोक-टोक देश की आधी आबादी लोकतंत्र को मजबूती देने के लिए अकेली खड़ी हैं लेकिन इस बीच कुछ ऐसा भी हुआ है जो बिहार में बदलाव की बयार पर ग्रहण लगा सकता है ।

बिहार पंचायत चुनाव पार्ट-1

शुरुआत उस पोस्ट से करते हैं जिसे पत्रकार पुष्यमित्र ने फेसबुक पर पोस्ट की थी। उन्होंने लिखा- “बिहार में महिला पंचायत प्रतिनिधियों को लेकर हमारी सोच बड़ी टाइप्ड है। उसी टाइप्ड सोच को तोड़ने के लिए बगहा की यह तस्वीर पोस्ट कर रहा हूं। इस तस्वीर में खड़ी महिलाएं वोट देने नहीं पंचायत चुनाव के लिए नोमिनेशन करने कतार में खड़ी हैं। ये सब हाथ में नामांकन का पेपर लिये अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं। बिल्कुल अकेले, इनके पीछे इनके पति खड़े नहीं हैं और इनका सोशल बैकग्राउंड भी देखिये। अभी भी कहेंगे कि बदलाव नहीं आया…।”

सचमुच ये बदवाल की ही निशानी है। इसमें कोई दो राय नहीं होनी चाहिए। लेकिन अभी जब हाल ही में पत्रकार प्रशांत कुमार ने फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की तो मैं हैरान रह गया। सोचने लगा कि अगर ये महिलाएं जिस स्टांप पेपर का इस्तेमाल की हैं अगर वो फर्जी निकला तो इस बदलाव का क्या होगा? उस उत्साह का क्या होगा जो इन महिलाओं में है? क्या इनकी कोशिश पर ये ग्रहण लगाना नहीं है?

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फोटो- प्रभात खबर

पटना के पत्रकार प्रशांत कुमार ने लिखा- बिहार के सहरसा जिले से बड़ी ख़बर सामने आई है। पुलिस और प्रशासन की टीम ने छापेमारी कर फर्जी स्टांप पेपर को बरामद करने का दावा किया है। ज़िले में बड़े पैमाने पर फर्जी स्टांप पेपर्स छापे गये थे। पुलिस ने छापेमारी के दौरान 6 लाख 11 हज़ार रुपये का स्टांप बरामद किये। मामला गंभीर है। बिहार में पंचायत चुनाव का बिगुल फूंका जा चुका है और नामांकन का दौर शुरु हो चुका है। गौर करने वाली बात है कि प्रत्याशी अपना नामांकन दाखिल करने के लिये शपथ पत्र दायर करते हैं। शपथ पत्र दायर करने के लिये स्टांप पेपर का इस्तेमाल किया जाता है। अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि नामांकन के लिये जो स्टांप पेपर इस्तेमाल किये जा रहे हैं कहीं वो फर्जी स्टांप पेपर तो नहीं है? जो जानकारी हम तक पहुंच रही है उसके मुताबिक बड़े पैमाने पर फर्जी स्टांप पेपर का इस्तेमाल बिहार में होने वाले पंचायत चुनावों के दौरान किया जाना था। अगर नामांकन के दौरान नकली स्टांप पेपर का इस्तेमाल किया गया है तो फिर उसकी वैधता पर सवाल खड़े हो सकते हैं और फिर पूरी चुनावी प्रक्रिया बाधित हो सकती है । जो खुलासा सामने आया है उसके मुताबिक साजिशकर्ता एक साथ कई मोर्चों पर चुनौती पेश कर रहे थे । सरकारी खजाने को चूना तो लग ही रहा था, वहीं अब पंचायत चुनाव पर भी सवाल खडे हो गये हैं।

ये लोग कौन हैं जो चंद पैसों के लिए लोकतंत्र के पर्व को ही कलंकित करने पर उतारू हैं? क्या बिन संरक्षण के ये सब हो सकता है। अगर लोग बदलाव के साथ आगे बढ़ रहे हैं तो ये कागजी हेराफेरी कर उनके उत्साह को तोड़ने की कोशिश क्यों हो रही है? हार-जीत अपनी जगह है। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि जिस उत्साह से ये महिलाएं पंचायत चुनाव में शामिल होने आई हैं उसी उत्साह से चुनाव लड़ें। और हर साल उनकी भागीदारी बढ़े क्योंकि लोकतंत्र के इस पर्व में वोट भी वहीं ज्यादा देती हैं। फिर ये कहने में और अच्छा लगेगा कि… क्या अब भी कहेंगे बदलाव नहीं हो रहा है…।


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सत्येंद्र कुमार यादव,  एक दशक से पत्रकारिता में । माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता के पूर्व छात्र । सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता से आप लोगों को हैरान करते हैं । आपसे मोबाइल- 9560206805 पर संपर्क किया जा सकता है ।

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