दिल्ली के बाद बिहार में बीजेपी की बड़ी हार, फिर से नीतीश कुमार। एक बड़ी जीत के साथ नीतीश तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे। पीएम मोदी, अमित शाह ने नीतीश कुमार को फोन कर जीत की बधाई दी। लेकिन सवाल ये है कि ये हार किसकी? मोदी या अमित शाह की? ये सवाल इसलिए कि बीजेपी इस चुनाव में 53 सीट के साथ तीसरे पायदान पर चली गई है। लालू की आरजेडी 101 में से 80 सीट जीत कर सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है। दूसरे नंबर पर नीतीश कुमार की जेडीयू है जिसके खाते में 71 सीट। वहीं कांग्रेस 4 सीट से 27 सीट का सफर तय किया और बिहार की चौथी बड़ी पार्टी बन गई।
बिहार जीतने के लिए बीजेपी ने करीब साढ़े आठ सौ सभाएं की थी, जबकि महागठबंधन ने पांच सौ। अकेले प्रधानमंत्री मोदी ने 26 रैलियां की। पीएम मोदी ने किसी भी राज्य के विधानसभा चुनाव में इतनी रैलियां नहीं की होगी जितनी बिहार में की। बिहार में बदलाव के लिए पूरी ताकत लगा दी थी लेकिन नतीजा उनके पक्ष में नहीं रहा। वहीं अमित शाह ने भी नीतीश-लालू को हराने के लिए कई आपत्तिजनक बयान भी दिए। शाह ने यहां तक कह दिया था कि नीतीश-लालू जीते तो पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे। लेकिन अमित शाह को तिकड़म काम नहीं आया।
NDA के दलित नेता रामविलास पासवान और जीतनराम मांझी भी कुछ नहीं कर पाए। मांझी की पार्टी के उम्मीदवारों को मिले कुल वोट से ज्यादा वोट नोटा के पक्ष में पड़े। दो सीटों पर मैदान में उतरे मांझी अपनी एक सीट गवां बैठे। मांझी के खाते में सिर्फ इमामगंज की सीट आई और वही उनकी पार्टी की उपलब्धि है। रामविलास पासवान की पार्टी LJP सिर्फ दो सीट ही जीत पाई। NDA की एक और सहयोगी RLSP का खाता भी नहीं खुला। बीजेपी सिर्फ इस बात से खुश हो सकती है कि वोट शेयर के मामले में वो नंबर वन है। हालांकि सबसे ज्यादा सीटों पर बीजेपी ही लड़ी थी।