टीम बदलाव
अगले एक साल तक देश चुनाव के मोड में रहने वाला है…इस साल विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर देश और सियासी दलों की नजर है. एक धड़ा है जो ये मानता है कि अभी देश के पास बीजेपी और मोदी का विकल्प नहीं है, वहीं दूसरी तरफ़ विपक्ष में कुछ मतभेदों के बावजूद एक मंच साझा करने की मजबूरी बनती दिख रही है. इतिहास के पन्ने पलटें तो कई मौक़ों पर विपक्षी एकता ने करिश्माई नतीजे दिए हैं… क़रीब पाँच दशक पहले समूचा विपक्ष एकजुट हुआ तो इंदिरा गांधी जैसी सशक्त नेता को भी धूल चटा दी थी.
ये साल था 1977 का. उन दिनों देश में आपातकाल लागू था. इंदिरा सरकार का बढ़ा हुआ कार्यकाल पूरा होने में अभी वक्त था. लेकिन इंदिरा ने इमर्जेंसी के बीच अचानक जनवरी के तीसरे हफ्ते में लोकसभा चुनाव कराने का एलान कर दिया. इंदिरा के इस फैसले ने सबको चौंका दिया. चुनाव के लिए बहुत कम समय था. मार्च महीने चुनाव कराने का फरमान सुनाया गया. इंदिरा के इस बदले रुख से विपक्ष हैरान था, क्योंकि कोई भी विपक्षी दल चुनाव में जाने के लिए मानसिक रूप से अभी तैयार नहीं था. विपक्षी दलों के तमाम नेता जेल में थे. संसाधनों का अभाव और विखरे विपक्ष को चुनाव के लिए साथ लाना बड़ी चुनौती थी, लेकिन इमरजेंसी हटाने के लिए विपक्ष के पास कोई और दूसरा रास्ता भी नहीं था. जय प्रकाश नारायण उन दिनों विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा थे. कुछ बरस पहले जनता मोर्चा बनाकर जय प्रकाश नारायण कई राज्यों में कांग्रेस के लिए चुनौती खड़ी कर चुके थे. बिहार में छात्र आंदोलन में जेपी की भूमिका ने उनका कद और बड़ा कर दिया था. लिहाजा सबकी नजर अब जय प्रकाश नारायण पर टिक गई. (बदलाव टीवी पर वीडियो रिपोर्ट देखने के लिए नीचे दिये लिंक पर क्लिक करें)
https://www.youtube.com/watch?v=sIMYZ4tJIQs
लिहाजा इंदिरा को हराने के लिए जय प्रकाश नारायण ने समूचे विपक्ष को एकजुट करने का फैसला किया. जेपी की अगुवाई में धीरे धीरे विपक्षी नेता एकजुट होने लगे. इंदिरा विरोधी मोर्चे में भारतीय लोकदल, भारतीय जनसंघ, सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी और मोरारजी देसाई की कांग्रेस ओ शामिल थी. करीब 5 दलों ने अपना नाम, निशान और पहचान छोड़ने का फ़ैसला किया. जय प्रकाश नारायण की अगुवाई में जनता पार्टी का उदय हुआ. इतना ही नहीं रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया समेत करीब 30 दलों ने लोकदल के हलधर निशान पर 1977 का लोकसभा चुनाव लड़ा.
जय प्रकाश नारायण ने विपक्षी दलों का विलय कर जनता पार्टी के गठन के साथ ही इंदिरा हटाओ देश बचावो का नारा बुलंद किया. इमरजेंसी की मार झेल रही जनता के बीच चुनाव प्रचार शुरु हुआ और इंदिरा हटाओ देश बचाओ नारा बहुत कम समय में आम लोगों की जुबान पर छा गया. इंदिरा हटाओ देश बचाओ नारे से शुरू हुआ चुनावी अभियान के बीच संपूर्ण क्रांति जैसे नारों ने प्रचार को और रफ्तार दी. ‘सिंहासन खाली करो, जनता आती है’ जैसे नारों ने जनता में जोश भरा. (बदलाव टीवी पर वीडियो रिपोर्ट देखने के लिए नीचे दिये लिंक पर क्लिक करें)
https://www.youtube.com/watch?v=LAuuqZaEbkQ
नतीजा ये हुआ कि इंदिरा गांधी खुद चुनाव हार गईं और जीत हासिक कर जनता पार्टी ने मोरारजी देसाई की अगुवाई में पहली गैरकांग्रेसी सरकार देश में बनाई.आपको ये रिपोर्ट कैसी लगी हमें जरूर बताएं. अगली रिपोर्ट में आपको बताएंगे कि इंदिरा के खिलाफ किसने चुनाव लड़ा और इसका फैसला कैसे हुआ.