गोल्फ को अमीरों के ‘आंगन’ से निकाल कर गरीबों की बगिया में बसाने का वक्त गया है

गोल्फ को अमीरों के ‘आंगन’ से निकाल कर गरीबों की बगिया में बसाने का वक्त गया है

अखिलेश कुमार

दिल्ली सहित भारत के लगभग सभी महत्वपूर्ण शहरों में शहर के बीचोबीच गोल्फ कोर्स यानी गोल्फ का मैदान सैकड़ों एकड़ में अवस्थित है । यदि उसका वैल्यूएशन हो तो वह लाखों करोड़ रुपए के बराबर होगा । यह अत्यधिक मूल्यवान जमीन सरकार के द्वारा गोल्फ क्लब को मुहैया कराई गई है जिस पर सबों का अधिकार होना चाहिए । परन्तु , हकीकत बहुत भिन्न है । इतने मूल्यवान मैदान पर शहर के मात्र कुछ धनाठ्य और प्रिविलेज्ड ग्रुप ऑफ पीपल का आधिपत्य होता है । वर्षों से इस खेल के मैदान पर इसी वर्ग का कब्जा रहा है जो आज भी बदस्तूर जारी है । यही वर्ग विशेष अपने परिवार सहित कुछ खास खास लोगो के साथ इस बहुमूल्य संपदा ( गोल्फ कोर्स ) का इस्तेमाल अपने मनोरंजन के लिए करता आ रहा है । दुष्परिणाम सामने है ।


अब जबकि गोल्फ , खेल के सबसे बड़े महाकुंभ ओलंपिक में शामिल है तब ऐसी स्थिति में मेरी प्रधानमंत्री जी और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील है कि गोल्फ कोर्स की संरचना में प्रभावी परिवर्तन करते हुए यह मैदान सबों के लिए एक समान रूप से ठीक उसी तरह उपलब्ध हो जैसे हॉकी , बैडमिंटन , फुटबाल , क्रिकेट , कुश्ती , मुक्केबाजी आदि का मैदान सबों के लिए उपलब्ध रहता है । ताकि , गरीब से गरीब व्यक्ति का बच्चा भी गोल्फ खेलने की हिम्मत जुटा सके और ससम्मान खेल सके । क्लब मेंबरशिप की परिपाटी समाप्त हो और इस मैदान को महज कुछ खास लोगों के आधिपत्य से मुक्त किया जाय। इसका द्वार सबों के लिए समरूप खोल दिया जाय।

जिस दिन ऐसा होगा तब हम निश्चित देखेंगे कि अन्य खेलों की भांति समाज के अंतिम पायदान पर अवस्थित वर्ग के बच्चों की भागीदारी इस खेल में भी बढ़ चढ़ कर हो रही है । ऐसा करने से समतामूलक समाज की अवधारणा को बल तो मिलेगा ही साथ ही साथ इस खेल में भी भारत बहुत सारे धुरंधर खिलाड़ी पैदा कर सकेगा जो अपनी कामयाबी का परचम पूरी दुनियां में लहराएंगे । क्योंकि ऐसा देखा जाता है कि ज्यादातर विश्वस्तरीय खिलाड़ी साधारण या वंचित परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोग ही होते हैं ।
जब यह गोल्फ का मैदान भी अन्य खेल मैदानों की तरह सर्वसाधारण के लिए सहज सुलभ होगा तब प्रतिभावान खिलाड़ी अपनी प्रतिभा के बल पर नए कीर्तिमान स्थापित कर सकेगा । इसी कदम से भारत में भी इस खेल के समग्र विकास का मूल सूत्र निहित है । अतः सरकारों को इस पर गहराई से विमर्श करना चाहिए और एक साहसी कदम उठाना चाहिए जिससे कि गोल्फ का मैदान कुछ लोगों के चंगुल से मुक्त हो सके ।