पेड़ों की छांव तले रचना पाठ की 70 वीं गोष्ठी में नये वर्ष का स्वागत “शाम-ए-ग़ज़ल” से हुआ। वर्ष के अंतिम रविवार को फेसबुक रूम के आभासी मंच पर ये संगोष्ठी 2020 को अलविदा कह गई तो 2021 को नई ऊर्जा के साथ स्वागत का संदेश भी दे गई । इस ख़ुशनुमा शाम में रंगत भरने अंतरराष्ट्रीय प्रख्यात ग़ज़लकार लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, सहित प्रसिद्ध गजलकार बृजेश तरुवर, बंधुवर अवधेश सिंह , सुपरिचित ग़ज़लकारा नंदिनी श्रीवास्तव और भावना मौर्य ने देर शाम तक मोहब्बत, जुदाई व देश प्रेम के अशआरों से श्रोताओं को बांधे रखा।
गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ फ़िल्मकार कवि समीक्षक उमेश कुमार व संचालन संयोजक अवधेश सिंह ने किया । प्रारम्भ में लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने मुख्य अतिथि के रूप में पढ़ा “ये कैसा दौर है जिसमें ख़ुदा से मांगते हैं हम../ चिरागों के मुक़द्दर में भी थोड़ी रोशनी रख दे / नहीं ये वक़्त कि उलझें चिराग आपस में / हमारी साझा लड़ाई तो तीरगी से है….
गजलकारा भावना मौर्य ने तरन्नुम के साथ सुनाया “आग नफ़रत की लगाकर तिरग़ी से मत लड़ो / मत करो गुस्ताखियां ठहरो सदी से मत लड़ो। इसी क्रम में बृजेश तरुवर ने कहा “कोई बताए मुझे कौन सा है ये आलम / डरे हुए हैं सभी हर तरफ उदासी है / वफ़ा के नाम पे अब कुछ मुझे नहीं देना / अभी तलक़ जो दिया वो ईनाम काफी है…” अपनी तल्खियाँ गजल के माध्यम से रखते हुए बंधुवर अवधेश सिंह ने पढ़ा “जिंदगी एक गजल है तो मुकम्मल क्यों नहीं होती / तमाम मुश्किलें दुनिया की यूं हल क्यों नहीं होती / वो खेतों में है बोता रोज सोने से पसीने को / उसके हक में कभी चाँदी की फसल क्यों नहीं होती / सियासत हो गयी खंजर तलाश पीठ है उसको / इनायत की कभी भोली सी शकल क्यों नहीं होती”।
गजलकारा नंदिनी श्रीवास्तव ने तरन्नुम के साथ मोहब्बत भरे कलाम कहे “रात भर तेरी यादों में लीं हिचकियां / बंध गयीं फिर ज़रा देर में सिसकियां! / तेरे आने की उम्मीद में आजकल / खोलकर सो रही आँखों की पुतलियां! / एक दिन आओगे सोचकर आज तक / खोल रक्खा है दर, हैं खुली खिड़कियां! । समापन की रसम को निभाने के साथ अध्यक्षता कर रहे उमेश कुमार ने इस जीवंत ख़ुशनुमा शाम के सभी प्रतिभागियों के प्रति आदर और आभार प्रदर्शित किया तथा कहा कि “रचना धर्मिता का आधार मन की पीड़ा है, आवश्यक है कि रचना की सब विधाओं मे जन सरोकार को केंद्र में रखा जाए तभी वह समाज से जुड़ कर संदेश देने में सफल होती है” ।
इस सजीव शाम ए गजल में प्रतिष्ठित कवि लेखक पधारे जिनमे क्रमशः ईश्वर सिंह तेवतिया, अमित दीवान, मोहन सिंह कुशवाहा , जितेंद्र प्रसाद , कपिल देव नागर , गुरुचरण कौर , पूनम कुमारी के साथ श्रोताओं में अनीता सिंह , शोभिता सिंह , अपूर्वा सिंह , ब्रजेन्द्र स्वरूप , वसीम गाजी आदि लगातार जुड़े रहे ।
रिपोर्ट – अवधेश सिंह
आदरणीय संपादक, बदलाव डॉट कॉम को नव वर्ष की समस्त मंगल कामनाएं और बधाई ।