अरुण यादव
बिहार में चुनावी बिगुल बज चुका है । सियासी पिच पर जोड़तोड़ शुरू हो चुकी है । महागठबंधन में विखंडन हो गया है तो एनडीए का ‘डीएनए’ बगावती होने लगा है । महामारी के दौर में शुरू चुनावी जंग में कौन बाजी मारेगा ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन बिहार ने हमेशा से देश को एक नई सियासी दिशा दिखाई है । अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ गांधी जी का चंपारण आंदोलन हो या फिर इंदिरा की इमरजेंसी के खिलाफ जेपी का एलान-ए जंग, सबकी जननी बिहार की धरती रही है । ऐसे में जिस वक्त पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, बिहार में लोगों को इलाज नहीं मिल रहा, बाढ़ से जनता बेहाल रही है, शिक्षा का हाल तो पूछिए ही मत । ऐसे में क्या बिहार के युवाओं के सीने में कुछ ऐसी ज्वाला धधक रही है जो बिहार में बदलाव की एक नई दस्तक दे सके । ये बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बिहार में अलग-अलग क्षेत्र के युवा अपनी नौकरी दांव पर लगाकर बिहार में बदलाव के लिए सियासी समर में कूद पड़े हैं । कोई डॉक्टर है तो कोई इंजीनियर, कोई प्रशासनिक सेवा में रहा है तो कोई प्रोफेसर की भूमिका में है । हैरानी की बात ये है कि ये सभी युवा फिलहाल किसी पार्टी के बलबूते चुनावी मैदान में नहीं कूदे हैं बल्कि क्षेत्र की जनता की मांग पर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने चले हैं । ऐसे ही एक जनता के उम्मीदवार का नाम है डॉक्टर अखिलेश कुमार जो अररिया जिले के नरपतगंज विधानसभा सीट से जनता की आवाज बनने निकल चुके हैं ।
पिछले कुछ दिनों से डॉक्टर अखिलेश कुमार के फेसबुक वॉल पर ऐसी तस्वीरें देखने को मिलीं जो काफी हैरान करने वाली थीं । जिस कोरोना काल में विधायक सांसद घर से नहीं निकल रहे थे उस दौरान अखिलेश ना सिर्फ लोगों की मदद कर रहे थे बल्कि बाढ़ के दौरान कीचड़ और पानी की परवाह किए बिना जनता के दुख-दर्द में शामिल होने के साथ ही उनकी परेशानी दूर करने की हर संभव कोशिश भी कर रहे थे। शायद जनता के प्रति उनके लगाव का ही नतीजा है कि आज नरपतगंज की जनता ने खुद उन्हें अपना उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है । हैरानी की बात ये है कि आज भी अखिलेश कुमार किसी से वोट नहीं मांग रहे बल्कि सिर्फ ये कह रहे हैं कि आप अपना प्रतिनिधि उसी को चुनिए जो आपकी आवाज बने, ना की किसी पार्टी की । डॉक्टर अखिलेश कुमार ने चुनावी मैदान में उतरने का फैसला क्यों किया और भारी-भरकम चुनावी खर्च के बीच कम बजट वाले चुनाव प्रचार का उनका फॉर्मूला क्या है । इन तमाम पहलुओं पर अखिलेश ने टीम बदलाव के साथी अरुण से खुलकर बात की ।
बदलाव- आप पुलिस सेवा छोड़कर शिक्षा के क्षेत्र में आए और पिछले कुछ महीनों से युवाओं में एक नई ऊर्जा का संचार भी कर रहे थे लेकिन अचानक राजनीति में आने का मन कैसे बन गया?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- हिन्दुस्तान में राजनीति का स्थान त्याग और सेवा भाव का रहा है, लेकिन आज आप देख लीजिए राजनीति एक प्रोफेशन बन गई है । हम भूल गए हैं कि लीडरशिप एक वाइस ऑफ द पीपुल यानी जनता की आवाज होती है । लोकतंत्र में जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है और उससे उम्मीद रखती है कि उनका प्रतिनिधि क्षेत्र की समस्याओं को सदन में उठाएगा और उनकी जरूरतों को पूरा करेगा, लेकिन आज क्या हो रहा है जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि वाइस ऑफ पीपुल की बजाय पार्टी की आवाज बनकर रह गया है । कोरोना महामारी जैसी विपत्ति हमारी पीढ़ी ने तो कभी देखी भी नहीं थी, ऐसे समय में आप बताइए कि कितने सांसद और विधायक थे जो अपने-अपने क्षेत्र की जनता के बीच उनका दुख दर्द समझने के लिए गए और उनकी समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के पास गए । किसान बिल के मुद्दे को ही ले लीजिए । कितने लोगों ने अपने क्षेत्र की जनता की आवाज उठाई या सदन को बताया कि उनके क्षेत्र के किसान क्या चाहते हैं । इन सब बातों को देखकर मुझे लगा कि जनता को पार्टी की आवाज उठाने वाले नेताओं की नहीं बल्कि जनता की आवाज बनने वाले युवाओं की जरूरत है । लिहाजा मैंने राजनीति में उतरने का फैसला किया ।
बदलाव- आपने नरपतगंज को ही चुनाव के लिए क्यों चुना, इसके पीछे कोई खास वजह ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- पिछले 8-9 महीने से मैं लगातार शिक्षा के प्रति युवाओं को जागरुक करने के लिए अररिया के कई विधानसभा क्षेत्रों में गया, लेकिन सबसे ज्यादा मेरा जाना-आना नरपतगंज में रहा। यहां के लोगों में कुछ नया करने की उत्सुकता दिखी लेकिन सही मार्गदर्शन के अभाव में युवाओं में सबसे ज्यादा निराशा नजर आई। जब से मैंने लोगों से मिलना शुरू किया युवाओं में एक नई चेतना का संचार हुआ और आज युवा ना सिर्फ पढ़ाई पर जो दे रहा है बल्कि एक दूसरे को पढ़ाने पर भी जोर देने लगा है । ऐसे में नरपतगंज से मेरा काफी लगाव हो गया और वहां के लोगों ने भी मुझे चुनाव में उतरने के लिए काफी दबाव डाला जिसके बाद मैंने ये फैसला किया ।
बदलाव- आजकल चुनाव काफी खर्जीला हो गया है और चुनाव आयोग के मुताबिक अब तो ऑन लाइन प्रचार करना होगा, इस चुनौती से कैसे निपटेंगे ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- देखिए मैं नरपतगंज के हर गली-महोल्ले से वाकिफ हूं । भले ही चुनाव के मकसद से ना गया हूं लेकिन शिक्षा की अलख जगाने के लिए हर 90 फीसदी से ज्यादा गांव तक पहुंच चुका हूं । लोग मुझे जानते हैं और मैं लोगों को, ऐसे में मुझे नहीं लगता कि मुझे जनता के बीच अपनी आवाज पहुंचाने के लिए किसी तामझाम की जरूरत है।
बदलाव- फिर भी तमाम युवा जो बदलाव तो चाहते हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियों के रसूख और पैसों के आगे चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, फिर आप कैसे लड़ेंगे ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- देखिए कोई भी बदलाव बिना त्याग संभव नहीं होता । गांधीजी जब अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए चंपारण आए तो अकेले थे, लेकिन चंपारण की जनता उनके साथ खड़ी हुुई और अंग्रेजों को बैकफुट पर आना पड़ा । अन्याय के खिलाफ हिन्दुस्तान की जनता हमेशा खड़ी होती है । ऐसे में मैं भी जनता की आवाज बनकर आया हूंं । किसी राजनीतिक पार्टी का उम्मीदवार नहीं हूं बल्कि जनता का उम्मीदवार हूं, जनता मेरे साथ है फिर मुझे ना तो रसूख की जरूरत है और ना पैसों की ?
बदलाव- आप चुनाव प्रचार कैसे कर रहे हैं, कुछ तो खर्च करना पड़ रहा होगा । गाड़ियों का इंतजाम, प्रचार करने वालों के खाने-पीने की व्यवस्था, ये सब कैसे हो पाएगा ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- (हंसते हुए…) अरे भाई खाने का ठिकाना तो मेरा ही नहीं है तो फिर मैं किसी और के खाने का इंतजाम कैसे करूंगा । सच कहूं तो जब से मैं चुनाव प्रचार के लिए उतरा हूं तब से एक पैसा भी प्रचार के नाम पर खर्च नहीं किया हूं या यूं कहें तो ज़ीरो बजट चुनाव प्रचार चल रहा है ।
बदलाव- ज़ीरो बजट चुनाव प्रचार, ये कैसे मुमकिन है, मौजूदा राजनीति में ये कैसे संभव होगा, आप विस्तार से बताइए ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- देखिए जब आप पार्टियों के उम्मीदवार होते हैं और जनता आपको जानती नहीं तब तो आपको सभी तामझाम करना पड़ता है जिस वजह से टिकट लेने से लेकर प्रचार तक खर्च भी बहुत होता है, लेकिन पिछले 8-9 महीने में मैं नरपतगंज के ज्यादातर गांव तक जा चुका हूं । लिहाजा जिस गांव में जाता हूं पैदल जाता हूं, दिनभर घूमता हूं । गांव वाले ही मेरे खाने-पीने का इंतजाम करते हैं वहीं रात भी गुजार लेता हूं । फिर अगली सुबह दूसरे गांव निकल पड़ता हूं । इस तरह एक गांव से दूसरे गांव तक घूमता रहता हूं लोगों की समस्याएं सुनता हूं और जितना हो सकता है उसे दूसर करने के उपाय भी बताता हूं । बस ऐसे ही अपना प्रचार अभियान चल रहा है ।
बदलाव- नरपतगंज विधानसभा का इतिहास उठाकर देखिए तो वहां अभी तक एक बार भी कोई निर्दलीय उम्मीदवार विजयी नहीं हुआ है । हैरानी की बात ये है कि 14 बार में 13 बार सिर्फ एक ही जाति के विधायक रहे हैं । इस चुनौती को आप कैसे तोड़ पाएंगे ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- देखिए नरपतगंज को सियासी पार्टियों ने हमेशा ठगा है । सवाल जाति का नहीं नीयत का होता है । नरपतगंज की जनता अब ऐसी पार्टियों की नीयत समझ चुकी है । चलो मान भी लूं कि जाति के नाम पर वोट किया गया तो जिस जाति का विधायक बना उस जाति का तो विकास होना चाहिए था। अगर गांव में सड़क नहीं है तो वहां हर जाति के लोग परेशान हैं । ऐसी राजनीति से नरपतगंज की जनता आजिज आज चुकी है और वो विकास चाहती है । जनता अब जान चुकी है कि सियासी पार्टियों से आए नेता चुनाव लड़ते हैं और जब जीतकर जाते हैं तो सिर्फ अपने वेलफेयर का काम करते हैं, जनता को भूल जाते हैं । अगर किसी ने काम किया होता तो आज नरपतगंज में सभी सुविधाएं रहतीं । इसलिए मैं जनता का कैंडिडेट बनकर आ रहा हूं । मैं जनता की आवाज बनूंगा और उनकी समस्याओं को दूर भी करूंगा ।
बदलाव- सुना है आप चुनाव प्रचार के दौरान खुद के लिए वोट भी नहीं मांग रहे हैं, ये कैसा चुनाव प्रचार है ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- यही तो बदलाव है । देखिए दूसरे नेताओं की तरह मुझे सदन का ना तो कोई मोह है और ना ही पद की कोई अभिलाषा । मैं सिर्फ जनता की सेवा करने आया हूं इसलिए मैं जनता से यही अपील कर रहा हूं कि वोट फॉर बेस्ट यानी जो आपके लिए जो अच्छा हो, आपके भविष्य के बारे में सोचे, उसे वोट कीजिए । जो आपकी समस्याओं को समझे और उसे दूर करने का ना सिर्फ भरोसा दे बल्कि रोडमैप भी बताए, उसे वोट कीजिए । एक बात मैं साफ कर दूं कि मैं चुनाव जीतूं या नहीं, लेकिन नरपतगंज से नाता हमेशा बना रहेगा और लोगों की हर समस्या को दूर करने की कोशिश भी करता रहूंगा ।
बदलाव- क्या आपको लगता है कि जिस इलाके की जनता एक ही जाति का विधायक चुनती आई है ऐसे में आप जनता का दिल जीत पाएंगे ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- अगर हर कोई यही सोचकर बैठ जाए कि जैसा चल रहा है वैसा ही चलने दिया जाए फिर बदलाव कैसे आएगा । पार्टीवाद, परिवारवाद, जातिवाद, धर्मवाद या यूं कहें कि धनबल-बाहुबल को तोड़ना है तो युवाओं को त्याग करना होगा । जब युवा आगे आएंगे तो जनता उनको सुनेगी और समझेगी भी । जैसे मुझे जनता सुन रही है वैसे दूसरों को भी सुनेगी ।मुझे खुशी होगी कि मुझसे बेहतर उम्मीदवार नरपतगंज में आए ताकि जनता उसको भी सुने और समझे । बल्कि मैं तो यही कहूंगा कि बिहार में 243 विधानसभा है हर विधानसभा में युवा सामने आएं और जनता के बीच जाएं आप देखिए बदलाव जरूर आएगा । परिवारवाद और जातिवाद से जनता का पेट नहीं भरता और ना ही उनकी समस्याएं दूर होती हैं । नरपतगंज की जनता अब सिर्फ विकास चाहती है शायद इसीलिए मुझे चुनाव मैदान में उतार रही है ।
बदलाव- क्या आपको नरपतगंज की समस्याओं के बारे में पता है अगर पता है तो उसे दूर करने के लिए आपके पास क्या कोई रोड मैप है?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- पिछले कुछ महीनों से मैं नरपतगंज में घूम रहा हूं । हर गली, हर मोहल्ला । कीचड़ से सनी सड़कें हों या फिर पानी से लबालब भरी गलियां । इन सब रास्तों पर मैंने चलकर उनके दुख दर्द को बेहद करीब से महसूस किया है । समस्याएं तो बहुत हैं लेकिन जो बेसिक समस्याएं हैं और जिनको दूर करने का रोड मैप भी काफी हद तक तैयार कर लिया हूं जिसमें कुछ इस प्रकार है-
सबसे बड़ी समस्या शिक्षा की है, बच्चों में शिक्षा के प्रति काफी उदासीनता है । ना तो शिक्षा की बेहतर व्यवस्था है और ना ही गरीब तबका पढ़ाई में रुचि दिखाता है लिहाजा उसपर बेसिक स्तर पर काम करने की जरूत है । जिसपर मैं काफी आगे भी बढ़ चुका हूं । सिविल सेवा की फ्री कोचिंग से लेकर दूसरी सरकारी नौकरियों की तैयारी के लिए सही मार्गदर्शन देने की भी योजना है ।
नरपतगंज के युवाओं में काफी क्षमता है बस जरूरत है तो उन्हें सही मार्गदर्शन और मोटिवेशन की, जिसके लिए मैंने एक रोड मैप भी तैयार किया है और उसपर अमल भी शुरू कर दिया है । बच्चों में स्पोर्ट्स की काफी संभावना है जिसके विकास के लिए काफी काम करना है ।
पलायन एक बड़ी समस्या है, लोग दूसरे राज्यों में जाते हैं लेकिन जिसके यहां काम करते हैं वो जब चाहे उन्हें भगा देता है इसलिए उनके लिए एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी जिसके जरिए ही मजदूरों को दूसरे राज्यों में ले जाया जा सकेगा और अगर उनके साथ कोई अनहोनी होती है तो उसकी जिम्मेदार उस संस्था की होगी ।
लोकल स्तर पर रोजगार की बहुत समस्या है । ऐसे में हमें रोजगार सृजन का इंतजाम करना होगा। खासकर कृषि आधारित जैसे मुर्गी पालन, बकरी पालन, डेयरी, हार्टिकल्चर जैसे तमाम इंतजाम पर जोर देना होगा, जिससे लोगों को बाहर जाने की जरूत ना हो। इसके लिए तमाम कृषि वैज्ञानिक भी मिलकर काम करने को तैयार हैं ।
नेपाल से सटा इलाका होने की वजह से यहां बाढ़ बहुत आती है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है । इसलिए सरकार से विशेष राहत पैकेज का इंतजाम करना और हर पंचायत में सेड की व्यवस्था कराना जिससे किसानों का मक्का या दूसरी कटी फसलों को बारिश से बचाया जा सके ।
ब्लॉक हो या फिर जिला, जन प्रतिनिधि लोगों की समस्याएं लेकर वहां तक जाते ही नहीं जिससे लोगों की मुश्किलें कम होने की बजाय बढ़ जाती हैं । ऐसे में हमारी कोशिश होगी कि लोगों की समस्याओं को लेकर लगातार डीएम, एसडीएम और बीडीओ से मिला जाए जिससे करप्शन भी कम होगा लोगों का काम भी होगा ।
गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं की काफी कमी है । कोरोना काल में इसकी सबसे ज्यादा जरूरत महसूस हो रही है । ऐसे में लोगों को अपने आस-पास स्वास्थ्य सुविधाएं मिले इसकी पूरी कोशिश की जाएगी । इसके लिए योजनाएं बहुत हैं बस उसे धरातल पर उतारने की जरूत है ।
पूरे इलाके में सड़कों की सबसे बुरा हाल है, आप किसी भी इलाके में चले जाइए सड़कें कम गड्ढा और कीचड़ ज्यादा दिखाई देगा । पैदल चलना भी मुश्किल होता है गाड़ी तो भूल ही जाइए। ऐसे में हमारी कोशिश होगी कि हर गांव तक सड़क पहुंचाई जाए उसके लिए पीएम ग्रामीण सड़क योजना हो या फिर दूसरी योजनाएं हर योजनाओं का लाभ गांव में सड़क बनाने के लिए किया जाएगा ।
किसानों के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था करना हमारी प्राथमिकताओं में शामिल है । बंद पड़ी नहरों को खोला जाएगा और हर खेत तक पानी पहुंचाया जाएगा
कानून-व्यवस्था बेहतर करना भी जरूरी है । पुलिस और लोगों के बीच बेहतर रिश्ते हों इसको लेकर काम करना होगा जिससे अपराध में काफी कमी आएगी । इसके लिए पुलिस सेवा का मेरा अनुभव भी काम आएगा ।
बदलाव- किसान के लिए एक नया कानून बन चुका है, देश के कई हिस्सों में इसका विरोध भी हो रहा है । नरपतगंज की जनता नए कानून को लेकर क्या सोच रही है ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- सच कहूं तो नरपतगंज की जनता कुछ समझ ही नहीं पा रही है कि आखिर ये हो क्या रहा है । किसानों का कहना है कि हमने तो सरकार से ये कभी मांगा ही नहीं, हम तो सिर्फ अच्छी एमएसपी की मांग कर रहे थे, लेकिन सरकार तो अपनी मनमानी पर उतर आई है ।
बदलाव- इस चुनाव में बिहार की जनता को क्या संदेश देना चाहेंगे ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- मैं जो बात नरपतगंज की जनता से कहता हूं कि ‘वोट फॉर बेस्ट’ वही बात पूरे बिहार की जनता से कहना चाहूंगा कि ऐसे उम्मीदवारों को तवज्जो दीजिए जो अपना सबकुछ छोड़कर आपके लिए कुछ करने की सोच रहा है । तमाम ऐसे युवा हैं जो बिहार में अलग-अलग क्षेत्रों में चुनाव लड़ने जा रहे हैं । ऐसे युवाओं को जनता तवज्जो दे ताकि राजनीतिक दलों का वर्चस्व टूटे और राजनीतिक पार्टियां भी जनता के प्रतिनिधि को टिकट देने को मजबूर हों और टिकट की खरीद-फरोख्त से भी निजात मिले ।
बदलाव- अगर कोई राजनीतिक दल आपको टिकट ऑफर करे तो क्या आप उसे स्वीकार करेंगे ?
डॉक्टर अखिलेश कुमार- देखिए मेरा फैसला जनता के हाथ में है । मैं किसी से टिकट मांगने नहीं जा रहा । मैं किसी पार्टी का नहीं जनता के उम्मीदवार के रूप में ही चुनाव मैदान में रहना चाहता हूं ।
बदलाव- हमसे बात करने के लिए धन्यवाद । उम्मीद है जनता आपकी समाज में बदलाव की सोच को समझेगी और आपने उम्मदीवार को सफलता दिलाएगी ।
डॉक्टर अखिलेश कुमार- शुक्रिया ।